बेनीपट्टी(मधुबनी)। बेनीपट्टी में आंगनबाड़ी केंद्र मूल उद्देश्य से भटक गयी है। जिसका खुलासा बेनीपट्टी के बीडीओ महेश्वर पंडित के द्वारा किये गए आईसीडीएस केंद्र की जांच के बाद हुआ है। दरअसल, डीएम के आदेश के बाद बीडीओ महेश्वर पंडित मंगलवार के सुबह पहुँच गए मेघवन पंचायत के आंगनबाड़ी केंद्रों पर। जहां केंद्र संचालन की पोल खुल गयी। बीडीओ के जांच के दौरान दो आंगनबाड़ी केंद्र बंद पाए गए। जबकि, एक केंद्र पर महज कुछ बच्चों को बैठाकर केंद्र संचालन का कोरम पूरा किया जा रहा था। बीडीओ ने जांच के दौरान आईसीडीएस केंद्र भवन की स्थिति से लेकर वो सब कुछ जांच किया, जो सरकार केंद्र संचालन के लिए उपलब्ध कराती है। 

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बीडीओ केंद्र संख्या-26 पर गए। जहां सुबह के साढ़े नौ बजे तक केंद्र संचालन की कोई गतिविधि नहीं देखे। हालांकि, केंद्र भवन को खोल दिया गया था। लेकिन, केंद्र पर न तो सेविका थी, न ही सहायिका उपस्थित थी। ऐसे में बच्चों की उपस्थिति की बात करना ही बेमानी हो जाती। इस केंद्र की कलई देखने के बाद बीडीओ पहुँच गए केंद्र संख्या-27 पर, जहां केंद्र पूर्णरूप से बंद था। ऐसे में बीडीओ आगे बढ़े और पहुँच गए केंद्र संख्या-28 पर। जहां केंद्र खुला हुआ था और समय हो गया था 09 :43, सेविका उपस्थित थी। केंद्र पर महज 15 बच्चे ही उपस्थित थे। जिसमें कोई भी बच्चा ड्रेस में नहीं पाया गया। पंजियो का संधारण तक नहीं था। पोषाहार संचालन के लिए आवश्यक भंडारण भी नहीं पाया गया। 

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बीडीओ जब आईसीडीएस केंद्र की आंखों से खुद हालात देख कर लौट रहे थे, तब केंद्र संख्या-27 खुल गयी थी। जहां 13 बच्चे उपस्थित हो गए और वहां की स्थिति भी सरकार और विभागीय दावा के उलट ही नजर आयी। 

बीडीओ ने कहा कि, इसकी जांच रिपोर्ट डीएम को दी जाएगी। वैसे, बीडीओ को सबसे पहले मेघवन पंचायत के पर्यवेक्षिका को भी खोज लेना चाहिए था। आखिर, उसे किस लिए नियुक्त किया गया है। उसके खिलाफ क्यों नहीं अबतक कार्रवाई हुई।

सूत्रों की माने तो बेनीपट्टी आईसीडीएस का विभाग और सेविका के सेटिंग के कारण इस तरह का हाल अधिकांश आईसीडीएस केंद्र का वर्षों से है। कई सेविका नाम नहीं बताने के शर्त पर कहती है, की जब केंद्र संचालन करे या न करे, हर महीने में नजराना देना ही पड़ता है, तो फिर केंद्र संचालन का क्या मतलब। खैर, नजराना का खेल सब को पता है। लेकिन, ये तो स्पष्ठ हो रहा है कि, जिस केंद्र को कुपोषण को दूर भगाने के लिए बनाया गया था, आज वहीं, केंद्र सबसे अधिक कुपोषित हो चुका है।


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