बेनीपट्टी(मधुबनी)। बेनीपट्टी के बसैठ चानपुरा स्थित कृषि विज्ञान केंद्र परिसर में एसके चौधरी एडुकेशनल ट्रस्ट के तत्वाधान में तीन दिवसीय अंतराष्ट्रीय कृषि एवं स्वास्थ्य अमृत महोत्सव सह मेगा एग्री एक्सपो के दूसरे दिन रविवार को कृषि विषय पर सेमिनार का आयोजन किया गया. वहीं सेमिनार को संबोधित करते हुए संस्थान के अध्यक्ष डॉ. संत कुमार चौधरी ने कहा कि इस संस्थान के द्वारा लगातार सेमिनार व प्रशिक्षण कार्यशाला आदि का आयोजन कर क्षेत्र के किसानों की आर्थिक स्थिति में सुधार का प्रयास किया जाता रहा है. देश विदेश से कृषि वैज्ञानिक, विशेषज्ञों एवं प्रतिनिधियों को बुलाकर कृषि की चुनौती और समाधान के लिये नई नई तकनीकों की जानकारी किसानों को दिलाने का प्रयास किया जा रहा है ताकि जितनी कृषि उत्पादकता बेहतर होगी उतने ही किसान उन्नतिशील होंगे और जब किसान खुशहाल होंगे तो देश की उन्नति तीव्र गति से होगी।

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इस दौरान लिसोटो देश के कृषि वैज्ञानिक नाइक, लूथवानिया के राजदूत जिमनाज मोजूराईटिस, रम्निता मोजूराईटिस, हरियाणा के कृषि वैज्ञानिक डॉ. सुनील पारेख, डॉ. विमला, नेपाल सरकार के कृषि मंत्रालय के सचिव डॉ. योगेंद्र कार्की व कतर देश के फारुख हसन सहित अन्य ने कहा कि भौगोलिक परिस्थियों व जलवायु परिवर्तन का व्यापक असर कृषि पर पड़ता है।

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इसलिये उसके समाधान के तौर पर नई तकनीक, आधुनिक पद्धति, कृषि यंत्र, जलवायु के अनुरूप अपेक्षित उत्पादन प्राप्त होनेवाली फसलों की खेती के गुर सभी किसानों को सीखने की जरूरत है। जब तक उत्पादन और उत्पादक की स्थिति बेहतर नही होगी तब तक किसी भी देश का समग्र विकास मुश्किल है। कम लागत में अधिक उत्पादन के कौशल की सीखना होगा तभी अपेक्षित परिणाम लाने में किसान सफल हो सकेंगे और इसके लिये लगातार प्रशिक्षण प्राप्त करने की जरूरत है। वहीं एमएसएमई के निदेशक डॉ. ग्लोरी स्वरूप व डॉ. पी चंद्रशेखर, जोधपुर के वैज्ञानिक सरदार पटेल व वैज्ञानिक डॉ. वेदांत शर्मा सहित अन्य वक्ताओं ने कहा कि कृषि के क्षेत्रों में भी तेजी से परिवर्तन और विकास हुआ है। भारत सरकार के द्वारा विभिन्न कृषि योजनाएं चलाकर किसानों को समृद्ध व खुशहाल बनाने का प्रयास जारी है। कृषि एवं कल्याण मंत्रालय के द्वारा छोटे-छोटे उद्योग केंद्र की स्थापना के लिये अधिकतम 25 लाख रुपये का ऋण देकर युवा किसानों को आत्म निर्भर बनाने का काम किया जा रहा है।

वक्ताओं ने कहा कि कृषि व पशुपालन से संबंधित नई सूचना व प्राधौगिकी एवं तकनीक को पूरी निष्ठा के साथ किसानों तक ईमानदारी से पहुंचाने की आवश्यकता है। वक्ताओं ने मरुआ, सामा, कोदों, कौनी सहित (पुरानी) फसलों को आधुनिकतम तकनीक से खेती कर हरित क्रांति लाये जाने की बात कही। सेमिनार में सूक्ष्मजीव, जैविक खाद का प्रयोग, किसानों को फसलों का समर्थन मूल्य, जलवायु परिवर्तन के बाद उपयुक्त खेती, चक्रण प्रणाली से लाभ, कृषि यंत्र की उपयोगिता व उपलब्धता व सरकार द्वारा संचालित कृषि योजनाओं पर चर्चा परिचर्चा की गई।

कार्यक्रम में सभी अतिथियों को प्रतीक चिन्ह भी भेंट किया गया और विभिन्न क्षेत्रों में उत्कृष्ठ प्रदर्शन करनेवाले को सम्मानित भी किया गया। कार्यक्रम में कृषि यंत्र व उत्पाद की प्रदर्शनी भी लगाई गई थी। मौके पर पूर्व मंत्री कृपानाथ पाठक, पूर्व विधायक रामाशीष यादव, विश्वकांत झा, परवेज आलम, वैज्ञानिक मंगलानंद झा व ईश्वरचंद्र झा सहित कई कृषक मौजूद थे।


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