पटना हाईकोर्ट के आदेश के आलोक में बिहार राज्य निर्वाचन आयोग ने नगर निकाय चुनाव को तत्काल स्थगित कर दिया है और इससे चुनाव लड़ने वाले प्रत्याशी काफी परेशान नजर आ रहें हैं क्योंकि नामांकन से लेकर चुनाव प्रचार तक में उनका लाखों रूपये खर्च हो चुका है.

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इस बीच बिहार सरकार ने हाईकोर्ट के आदेश के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट जाने का निर्णय लिया है.इसकी जानकारी बिहार सरकार के नगर विकास विभाग के ट्वीटर हैंडल से दी गई है.

बिहार सरकार के हाईकोर्ट के फैसले के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट जाने के निर्णय का मतलब है कि हाईकोर्ट के आदेश के आलोक में यह चुनाव अभी नहीं हो पाएगा और सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद सरकार इस पर आगे का निर्णय लेगी यानी निकाय का चुनाव लंबे समय के लिए टल गया है.

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वहीं दूसरी ओर हाईकोर्ट के फैसले के बाद बीजेपी और जेडीयू के तरफ से लगातार बयानबाजी भी हो रही है.बीजेपी के प्रदेश अध्यक्ष संजय जायसवाल,पूर्व डिप्टी सीएम सुशील मोदी ने इसके लिए बिहार के सीएम नीतीश कुमार को दोषी ठहराया है.सुशील मोदी ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट के आदेश के अनुसार तैयारी करने के बजाय नीतीश कुमार ने जबरदस्ती चुनाव करवाने की कोशिश की है जिसकी वजह से राज्य के लोंगो को परेशानी हुई है.वहीं जेडीयू के संसदीय बोर्ड के राष्ट्रीय अध्यक्ष उपेन्द्र कुशवाहा ने इसके लिए बीजेपी और केन्द्र सरकार की नीति को जिम्मेवार ठहराया है.

वहीं महागठबंधन सरकार में नगर विकास विभाग संभाल रहे डिप्टी सीएम तेजस्वी यादव ने इस ममले पर बीजेपी पर निशाना साधा है. तेजस्वी यादव ने कहा कि बिहार के एनडीए सरकार में भाजपा के पास ये विभाग रहा है और शुरू से ही भाजपा आरक्षण विरोधी रहे हैं. उनका वाचर है कि बिना आरक्षण के चुनाव ना कराये जाएं. पिछड़ा समाज के आरक्षण के साथ ही चुनाव होना चाहिए.

मंगलवार की घटनाक्रम

जानकारी के लिए बता दें कि मंगलवार को बिहार में निकाय चुनाव को लेकर पटना हाईकोर्ट के आदेश के बाद राज्य निर्वाचन आयोग ने बड़ा कदम उठाया था। राज्य निर्वाचन आयोग ने 10 और 20 अक्टूबर को होने वाले नगर निकाय चुनाव को तत्काल प्रभाव से स्थगित कर दिया। पटना हाईकोर्ट के आदेश के बाद राज्य निर्वाचन आयोग के अधिकारियों की 8 घंटे तक लंबी बैठक चली। जिसके बाद यह फैसला लिया गया.

गौरतलब है कि पटना हाईकोर्ट ने आज बिहार में चल रहे नगर निकाय चुनाव पर मंगलवार को रोक लगा दिया. इस आदेश के साथ हाईकोर्ट ने कहा है कि बिहार सरकार और राज्य निर्वाचन आयोग ने सुप्रीम कोर्ट द्वारा दिये गये आदेश का पालन नहीं किया है. सुप्रीम कोर्ट ने 2021 में ही स्पष्ट किया था कि किसी भी स्थानीय निकाय चुनाव में पिछडे वर्ग को आऱक्षण से पहले सरकार ट्रिपल टेस्ट कराये और उसके आधार पर चुनाव कराये. 


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