मधुबनी। केंद्र और राज्य सरकार के जनविरोधी नीतियों के खिलाफ महागठबंधन के आह्वान पर राजद जिला अध्यक्ष भारत भूषण मंडल, विधायक समीर कुमार महासेठ, कांग्रेस जिला अध्यक्ष सितलाम्बर झा, भाकपा माले जिला सचिव ध्रुवनारायण कर्ण,सीपीआई जिला सचिव मिथिलेश झा,माकपा जिला सचिव मनोज यादव,पूर्व केंद्रीय मंत्री देवेंद्र प्रसाद यादव , पूर्व विधायक सीताराम यादव, रामकुमार यादव, उमाकांत यादव, रामावतार पासवान, रामाशीष यादव,के संयुक्त नेतृत्व में मधुबनी रेलवे स्टेशन से बाटा चौक होते हुए प्रतिरोध मार्च जिला समाहरणालय मधुबनी पहुँचकर राजद जिला अध्यक्ष के अध्यक्षता में सभा का आयोजन किया गया। सभा को संबोधित करते हुए राजद जिला अध्यक्ष सह विधायक भारत भूषण मंडल, विधायक समीर कुमार महासेठ, कांग्रेस जिला अध्यक्ष सितंलाम्बर झा, पूर्व केंद्रीय मंत्री देवेंद्र यादव, मिथिलेश झा , ध्रुव नारायण कर्ण ने सामूहिक रूप से बताया देशवासी नोटबंदी के बाद से बदहाल अर्थव्यवस्था, बेतहाशा महँगाई और रिकॉर्डतोड़ बेरोजगारी एवं नौकरी के विकल्पों के अभाव से पहले से ही जूझ रहे थे कि अब सरकार ने आज़ादी के बाद अति आवश्यक खाद्य पदार्थों गेंहू, अनाज, चावल, आटा, एवं किताब, कफ़न,इलाज इत्यादि पर भी GST लगाकर गऱीबी में आटा गीला करने जैसा क्रूर काम किया है। 1
आज़ाद भारत में पहली बार अनाज और कफ़न पर टैक्स लगाया गया है। जिसका सबसे अधिक खामियाजा निम्न और मध्यम वर्ग को उठाना पड़ेगा। इस टैक्स के कारण दूध-दही, घी, आटा, चावल, स्टेशनरी इत्यादि के भाव 10-15% बढ़ गए है। इससे लोगों की पढ़ाई लिखाई और खान-पान व पोषण अर्थात् लोगों के भविष्य और वर्तमान पर सीधा सीधा असर पड़ रहा है। सरकार दाम बढ़ाकर, राष्ट्र की संपत्ति बेचकर, निजीकरण कर, नौकरी छिनकर, लोगों की पेट पर लात मारकर कमाई करना बिल्कुल बंद करे।
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आम आदमी, गरीब, मजदूर, किसान का जीना मुहाल हो गया है। छोटे व मंझोले किसान व व्यापारी बर्बाद हो रहे हैं। सरकारी नौकरियाँ खत्म की जा रही है। शिक्षा और स्वास्थ्य व्यवस्था को आम नागरिकों की पहुँच से बाहर कर दिया गया है।
भाजपा सरकार जातिगत जनगणना से दूर भागती है, लेकिन देश सेवा के लिए जान देने वाले अग्निवीर भाइयों से जाति पूछती है। ये जाति इसलिए पूछ रहे हैं क्योंकि देश का सबसे बड़ा जातिवादी संगठन आरएसएस (राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ) बाद में जाति के आधार पर अग्निवीरों की छंटनी करेगा। मोदी सरकार पूँजीपति मित्रों के 11 लाख करोड़ की राशि तक के टैक्स और लोन माफ़ करने वाली जनविरोधी केंद्र सरकार में आम आदमी बिल्कुल विकल्पहीन और आशा-विहीन हो गया है जो देश के लिए बहुत खतरनाक है।
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