बेनीपट्टी(मधुबनी)। नई शिक्षा नीति 2020 के तहत केन्द्र सरकार द्वारा देश भर में प्राथमिक शिक्षा का माध्यम मातृभाषा में कराने की घोषणा का स्वागत करते हुए मिथिला लोकतांत्रिक मोर्चा के राष्ट्रीय अध्यक्ष मनोज झा ने कहा है कि केन्द्र सरकार के इस घोषणा से जहां मातृभाषा को सम्मान मिला है। वहीं मातृभाषा के माध्यम से प्राथमिक विद्यालयों में पढाई प्रारंभ होने का मार्ग भी प्रशस्त हुआ है। प्राथमिक विद्यालयों में मातृभाषा माध्यम से पठन-पाठन शुरु होने से छात्रों के अंदर अपने तमाम विषयों की  पढ़ाई को समझने की क्षमता बढ़ेगी और शिक्षा में उनका सहज विकास होगा। केन्द्र सरकार द्वारा जारी नई शिक्षा नीति को धरातल पर उतारने में सम्मानित शिक्षकों की भूमिका को महत्वपूर्ण मानते हुए उन्होंने मिथिला क्षेत्र के सभी प्राथमिक स्तर के सरकारी व प्राइवेट विद्यालयों के शिक्षकों से बच्चों के बीच पठन-पाठन में मातृभाषा मैथिली को आगे लाने का आग्रह किया है। उक्त मांग को लेकर पटना में सरकार के समक्ष दस दिनों अनशनरत रहने की चर्चा करते हुए मनोज झा ने कहा कि उस समय सरकार ने हमारी मांग को माना और तत्कालीन शिक्षा निदेशक ओंकार प्रसाद सिंह ने अनशन स्थल पर आकर हमारा अनशन भी खत्म कराया लेकिन बाद में  सरकार ने हमारी मांग को नजरंदाज कर दिया था। अब केन्द्र सरकार द्वारा जारी निर्देशों के तहत बिहार सरकार से भी केन्द्र सरकार के इस घोषणा को अविलंब राज्य भर के विभिन्न प्राथमिक विद्यालयों में त्वरित रुप से प्रारंभ किए जाने की मांग की है तथा तत्संबंधी आदेश भी निर्गत करने का आग्रह किया है। साथ ही उन्होंने केन्द्र सरकार द्वारा मिथिला क्षेत्र में संचालित केन्द्रीय विद्यालय, नवोदय विद्यालय और केन्द्रीय माध्यमिक शिक्षा बोर्ड से सम्बद्ध सभी विद्यालयों में भी अनिवार्य रुप से मैथिली विषय की पढ़ाई लागू करने की मांग सरकार से की है। अध्यक्ष मनोज झा ने चिंता जताते हुए कहा है कि राज्य भर के प्राथमिक विद्यालयों खास कर ग्रामीण इलाकों में स्कूलों में शिक्षकों द्वारा पठन-पाठन की भाषा को बच्चों द्वारा नहीं समझ पाने के कारण लाखों बच्चे स्कूल से ड्रॉप आउट कर जाते हैं और विद्यालय जाने के प्रति उनकी अभिरुचि स्वतः समाप्त हो जाती है जो एक गंभीर समस्या है। उन्होंने जोर देकर कहा है कि प्राथमिक विद्यालयों मे विभिन्न विषयों की जानकारी अगर बच्चे को उनकी मातृभाषा में दिया जाय तो बच्चों की पढ़ाई छोड़ने वाली समस्या से निजात पाया सकता है जिसे शिक्षा विज्ञान के लिए काम करने वाली अंतरराष्ट्रीय संस्था यूनेस्को भी मानती है कि बच्चे अपनी मातृभाषा में विषय को जल्दी सीखते हैं इसलिए इसे राज्य भर के प्राथमिक विद्यालयों में अनिवार्य रुप से लागू किया जाय।



आप भी अपने गांव की समस्या घटना से जुड़ी खबरें हमें 8677954500 पर भेज सकते हैं... BNN न्यूज़ के व्हाट्स एप्प ग्रुप Join करें - Click Here



Previous Post Next Post