बेनीपट्टी(मधुबनी)। मधवापुर के फर्जी शिक्षक बहाली के प्राथमिकी में पुलिस अब तक नामजद आरोपित को गिरफ्तार नहीं कर सकी है। जबकि, प्राथमिकी दर्ज होने के करीब तीन माह गुजर गए है। पुलिस के द्वारा अब तक कांड के आरोपी बीईओ व वेतन विपत्र कर्मी के गिरफ्तारी नहीं किए जाने पर सवाल खड़े हो रहे है। एमएसयू के द्वारा बीईओ व वेतन विपत्र कर्मी के गिरफ्तारी को लेकर किए गए धरना के उपरांत सदर एसडीपीओ कामिनी बाला के द्वारा पर्यवेक्षण के लिए मधवापुर गयी। लेकिन, अब तक कार्रवाई नहीं की गयी। सूत्रों की माने तो जिस दिन सदर एसडीपीओ मधवापुर गई थी, उस दिन भी मधवापुर बीईओ उमेश बैठा मधवापुर में ही थे। सदर एसडीपीओ के बीआरसी पहुंचने के चंद मिनट पूर्व ही बीईओ बीआरसी से अचानक निकल गये। विश्वसत सूत्रां ने बताया कि अगले महीने मधवापुर के बीईओ उमेश बैठा रिटायर होने वाले है। गौरतलब है कि गत छह माह से मधवापुर में भारी पैमाने पर रुपये का खेल कर फर्जी शिक्षकों की बहाली का मामला सुर्खियों में है। डीएम के निर्देश पर गठित जांच टीम ने दो माह के अंदर जांच रिपोर्ट मार्च के प्रथम सप्ताह में कार्रवाई की अनुशंसा करते हुए डीएम को सौंप दी। उपरांत डीएम के निर्देश पर 26 मार्च को तत्कालीन जिला शिक्षा पदाधिकारी श्रीराम कुमार ने मधुबनी के नगर थाना में मधवापुर के बीईओ व वेतन विपत्र कर्मी के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज कराई। उक्त फर्जीवाड़ा में करीब डेढ़ सौ से अधिक लोगों की फर्जी बहाली कराई गयी थी। आकलन है कि उक्त फर्जीवाड़ा में करोड़ों के वारा-न्यारा किया गया था। जिसमें विभाग के वरीय अधिकारी के संलिप्तता से इंकार नहीं किया जा सकता है। हैरत है कि उक्त फर्जी शिक्षक बहाली में सफेदपोश से लेकर मीडिया कर्मियों के बीच भी पद वितरित किए गये थे। फर्जी रैकेट में रसूखदार के संलिप्त होने का परिणाम हुआ कि इन शिक्षकों में करीब 37 फर्जी शिक्षकों को प्रति शिक्षक करीब 78 हजार रुपये कर वेतन मद में भी भुगतान कराये गए। हालांकि, फर्जी शिक्षकों से वेतन मद में दिए गए राशि की वसूली के लिए डीपीओ (स्थापना) राजेश सिन्हा ने अनुमंडल न्यायालय में सर्टिफिकेट केस दायर कर दिया। लेकिन, सबसे अहम सवाल है कि इस फर्जीवाड़ा का मुख्य आरोपित कब कानून के दायरे में होगा।