बेनीपट्टी (मधुबनी)। ग्रामीण क्षेत्र के मरीजों के लिए स्वास्थ्य उपकेन्द्र खोले जाने की विभाग की योजना धरातल पर नहीं उतर रही है।आज भी ग्रामीण क्षेत्र के मरीज हल्की बुखार होने पर भी मुख्यालय पहुंच कर अपना इलाज कराने को विवश है।विभाग के दावें के बावजूद ग्रामीण क्षेत्र के स्वास्थ्य उपकेन्द्र समय पर खुलना तो दूर महीनों तक केन्द्र पर ताला झूलता रहता है।बेनीपट्टी प्रखंड के करहारा पंचायत के सोहरौल गांव में सुदूर ग्रामीण इलाकों के मरीजों के लिए वर्षों पूर्व खुला स्वास्थ्य उपकेन्द्र कर्मियों के उदासीनता के कारण महीनों से बंद पड़ा हुआ है।ग्रामीणों ने बताया कि स्वास्थ्य उपकेन्द्र अंतिम बार कब खुला, कुछ याद नहीं है।उपकेन्द्र की हालत को देख ग्रामीणों की बात सही साबित कर रही है।उपकेन्द्र पर मरीजों के लिए दवा होने के बजाय केन्द्र परिसर में कपड़ा सुखाने के लिए तार एवं केन्द्र के अंदर पशुचारा पसरा हुआ था। ये दीगर है कि उपकेन्द्र पर विभागीय सारे दिशा-निर्देश का बोर्ड लटका हुआ था। जिससे ये भवन अपने आपको स्वास्थ्य उपकेन्द्र साबित कर रहा था। गौरतलब है कि ग्रामीण क्षेत्र में स्वास्थ्य सेवा की सुविधा स्थानीय स्तर पर प्रदान करने के लिए बेनीपट्टी प्रखंड में करीब 37 स्वास्थ्य उपकेन्द्र एवं चार अतरिक्त स्वास्थ्य उपकेन्द्र बनाये गये है।जिसमें माधोपुर के बृजहरि औषधालय, शिवनगर , अकौर एवं एकतारा में है।सूत्रों की माने तो बेनीपट्टी प्रखंड के अधिकांश स्वास्थ्य उपकेन्द्र अपने लक्ष्य से भटक गयी है। इस संबंध में सोहरौल में कार्यरत एएनएम किरण कुमारी ने बताया कि उपकेन्द्र का भवन वर्षो से जर्जर है। बैठने के लायक भी नहीं रह गया है। छत से अक्सर प्लास्टर गिर रहा था।जिसके कारण उपकेन्द्र पर बैठने के बजाय पोषक क्षेत्र में घुम-घुमकर लोगों को दवा देने का काम करती है। एएनएम ने बताया कि विभाग के सारे निर्देश पोषक क्षेत्र में पालन कराया जा रहा है।वहीं स्वास्थ्य प्रबंधक राजेश रंजन ने बताया कि स्थानीय कुछ समस्याओं एवं भवन के जर्जरता के कारण एएनएम उक्त केन्द्र पर नहीं रहकर बाहरी से ही घुमकर कार्य कर रही है।भवन निर्माण के बाद ही केन्द्र का संचालन संभव है।