BNN रिपोर्ट। बिकास झा : जाले एसिड अटेक कांड की अभियुक्त यही वो अम्बिका नाम की लड़की है जिसने फ़िल्मी पटकथा को भी पीछे छोड़ते हुए एक नई कहानी लिख दी।
जो मात्र अपने कथित आशिक से बदला लेने के लिये उस आशिक को जान से मारने से पहले अपने आप को मृत साबित करना चाहती थी। बस यहीं से यह घटना का ताना-बाना बुनती चली गयी, सबसे पहले इसने अपने जैसा दिखने वाली एक हम उम्र लड़की के रुप में संजू को चिन्हित कीया, फिर एक पासी के लड़की को अपनी सहेली बनाकर उसे विस्वास में ली। तब अपने योजना के अनुसार संजू को जान से मारकर उसे अपना कपड़ा पहना कर उसका कपड़ा खुद पहनना चाह रही थी। लेकिन मारपिट के दरमयान संजू का कपड़ा फट गया। तब वह वहाँ से उसका कपड़ा उठा कर उसे मृत समझ भाग गयी। ताकी कल कोई लाश देख यह समझे की अम्बिका मर गयी। और फ़िर वह वहाँ से भाग कर दिल्ली जाने की सोच रही थी की इतने में उसे भनक लग गया की संजू मरी नहीं जिन्दा है। यहीं से इसका खेल बिगड़ गया और वह छुपने के दौर में कल बसैठा गावं से पकड़ी गई।
एक ज्योतिषशाष्त्र के विद्वान पिता श्री संजय कुमार मेहता जो भारत के राष्ट्रपति से सम्मानित हैं और पंचांग सुधार संस्थान के राष्ट्रीय अध्यक्ष भी हैं उनकी लड़की का यह घिनोना काम है। हालांकी आज भी उस लड़की को देख कर आप यकिन नहीं करेंगे की यह इतनी जघन्य अपराध कर सकती है। बिल्कुल चंचल स्वभाव की हंसमुख यह लड़की कैसे यह सब कर ली लोगों को आज भी एकवारगी यकिन नहीं हो रहा। आज भी जाले के अधिकान्ष लोगों का यही मानना है की जरुर इसमें किसी और आदमी का हाथ होगा।
इस घटना का नया मोड़ यह है की दोनों अभियुक्त और पिड़ीता तीनों लड़की नवालिग साबित हो चुकी है। और दोनों कानून के गिरफ़्त में है देखना चाहिये की आगे क्या होता है। इतना तो जरुर है की एक नासमझी के चलते तीन की जिन्दगी और परिवार की प्रतिष्ठा के साथ-साथ जाले का भी जग हँसाई हुई है।
और अगर यह घटना की यही कहानी सत्य है तो इसका जिम्मेवार उस लड़की के माता-पिता के साथ समाज भी है जिस समाज की वह उत्पत्ती है। भले ही आप अपने दायित्व से मुकड़ जायं लेकिन जिस समाज को उसके नाक के नीचे गड़बड़ी होती हुई दिख रही हो फ़िर भी वह अपने कर्तव्य का निर्वहन न करे तो उस समाज में इस तरह की घटना की पुनरावृती होते भी देर नहीं लगेगी।