पटना।बिहार विधानसभा का चुनाव खत्म हो चुका है।बिहार के मतदाताओं ने नीतीश-लालू के महागठबंधन को 178 सीट देकर बिहार में सरकार बनाने के लिए अपनी रजामंदी दे दी है।परंतु इन सब के बीच बिहार में ऐसे लाखों मतदाता भी थे,जिन्हें न तो नीतीश पंसद आये ना ही मोदी।चुनाव के बाद आयोग के द्वारा जारी किये गये रिपोर्ट के अनुसार बिहार के विभिन्न विधानसभा क्षेत्र के करीब 9.5 लाख लोगों ने सभी दलों के प्रत्याशी को रिजेक्ट कर नोटा का प्रयोग किया है।उन्होंने इबीएम मशीन के नन आॅफ द एबव (नोटा) का प्रयोग किया है।निर्वाचन आयोग के द्वारा जारी रिपोर्ट के अनुसार बिहार के 9,47,276 लोगों ने नोटा का प्रयोग किया है।जानकारी दें कि भारत निर्वाचन आयोग ने दिसंबर 2013 के विधानसभा चुनाव में इलेक्ट्रानिक वोटिंग मशीन में नोटा का बटन का विकल्प उपलब्ध कराने का निर्देश दिया था।कोर्ट ने कहा था कि नकारात्मक वोट भी अभिव्यक्ति की आजादी का संवधानिक अधिकार (अनुच्छेद 19-1 ए) है,जिसके लिए मनाही नहीं की जा सकती है।कोर्ट ने इसके असर पर विचार करने से तक इंकार कर दिया था।


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