दरभंगा। बिकाश झा : सुचना का अधिकार का प्रयोग कर पिछले 2-3 महीनो से मिथिला प्रांत के आरटीआई एक्टिविस्ट धैर्यकांत मिश्रा ने मिथिला ने राजनेताओं की नींद उड़ा रखी है, कारण दिन प्रतिदिन राजनेताओं के खोखले वादों और भ्रष्टाचार के पोल खोलती आरटीआई। इसकी शुरुआत तब हुई जब दरभंगा के सांसद द्वारा दरभंगा मेडिकल कॉलेज को 46 करोड़ दिलवाने की बात सामने आई, परन्तु जब आरटीआई फाइल की गयी इस सन्दर्भ में तो दूध का दूध और पानी का पानी हो गया, स्वास्थय मंत्रालय की माने तो मंत्रालय ने ऐसा कोई अनुदान DMCH को नहीं दिया और इस साल न देगी। इसके बाद मानो तो भूचाल आ गया, इसके बाद चाहे वो दरभंगा एयरपोर्ट का मामला हो या तारामंडल का या हरहि पोखर के विकास का धैर्यकांत मिश्रा बताते है की हर मोर्चे पे सभी राजनेताओं ने दरभंगा के लोगो को सिर्फ ठगा है ये आरटीआई की माध्यम से पता चल गया है।गौरतलब है की इस चुनाव में आरटीआई से हुए खुलासे को विरोधी अपना मुद्दा बनाने में लगी हुई है और दरभंगा के शहरी विधायक को कई जगह इस कारण विरोध का सामना भी करना पड़ रहा है, आरटीआई से हुए खुलासे के बाद से दरभंगा की जनता भी सजग हो गयी है और कई दशकों के बाद दरभंगा का ये चुनाव जाती विशेष पे नहीं अपितु वहाँ के निहित ज्वलंत मुद्दों पे होगा जो की एक सार्थक शुरुआत मानी जा सकती है। दिल्ली में पढाई कर रहे आरटीआई एक्टिविस्ट ने बताया है की अगर भ्रष्टाचार और झूठ के खिलाफ आपकी लड़ाई सच्ची है तो दुनिया  आपके साथ है, उन्होंने पिछले 2 सप्ताह से आ रहे धमकियों से विरोधियों पर कटाक्ष करते हुए जवाब दिया की  "धमकियां उनके लिए इस बात का प्रमाण है की वो जो कर रहे है , सही कर रहे है "।
चुनाव के परिणाम के बाद ही इस बात की समीक्षा हो पायेगी की आर टी आई के खुलासे सही में चुनावी मुद्दे बने या फिर से जातिवाद का दंश दरभंगा को काट गया।


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