संपादकीय - कन्हैया मिश्रा : बिहार में फिलहाल 24 सीटों पर निकाय कोटे के विधान परिषद् का चुनाव होने जा रहा है। सूबें में चुनाव अपने रंग में धीरे-धीरे रंगता जा रहा है। बिहार में मानसून के प्रवेश से जहां बिहार का तापमान में गिरावट आ रही है ।परन्तु चुनावी तपिस में नेताओं के बोल में गरमाहट आनी शुरु हो गयी है। जिसकी झलक शनिवार को पटना में हो रहे एनडीए के संयुक्त प्रेस वात्र्ता में दिखी। जहानाबाद के सांसद व रालोसपा के प्रदेश अध्यक्ष अरुण कुमार पुलिसिया कार्रवाई पर एक तरफा विशेष जाति पर कार्रवाई कराने का आरोप लगाते हुए अप्रत्यक्ष रुप से सीएम नीतीश कुमार पर जुबानी हमला बोला।सांसद ने ताव में आकर सामाजिक मर्यादा को ताक पर रखकर सीएम नीतीश कुमार का कलेजा तोडने की बात कहकर चुनावी रंग में बिगडैंल सियासी बोल की शुरुआत कर दी। हांलाकि सीएम ने उनकी प्रतिक्रिया बहुत ही सभ्य लहजों में देकर एक नयी बहस छेड दी कि क्या आने वालें चुनाव में इसी तरह के बोल सुनने लोंगो को पडेंगे। रविवार को इस कडी को आगे बढाते हुए राजद से निकाले गये सांसद पप्पू यादव ने तो हद ही कर दी। कल सांसद ने जहानाबाद में प्रेस से वात्र्ता करते हुए नेताओं को नाग से भी जहरीला कहकर लोंगो से कहा कि सांप ओर नेता एक साथ मिले तो सबसे पहले नेताओं के सीने पर चढकर उसे मार देना चाहिए। सांसद यहीं नही रुके,इससे आगे बढते हुए उन्होंने सभी नेताओं को सूट कर देने की भी बात कह दी। वैसे तो नेताओं के जुबान से ये पहली बार ऐसा बयान नहीं आया है। हर दल जनता के सामने सुचिता व सभ्य राजनीति की बात कहती रही है। लेकिन जब-जब चुनाव के समय आते है तो नेताओं के बोल अचानक बदल जाते रहे है। खास कर बिहार में ऐसे नेताओं की भरमार है,जो समय-समय पर ऐसे बयान देते रहे है। जो काफी दिनों तक अखबारों व चैनलों की सुर्खियों बनी रहती है। अब देखना है कि राजनीतिक सुचिता की बात करने वाली राजनीतिक दलों के नेताओं के बोल आगामी विधानसभा चुनाव में कितना संयमित रह पाता है।