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गौरतलब है कि छात्र विवेकान्त के पिता का निधन करीब दस वर्ष पूर्व हो गयी। उसकी मां मंजू देवी मेला में समोसा, कचरी, मुरही आदि बेचा करती थी। वहीं, दिन में गांव के ही प्राइमरी स्कूल में रसोइया का भी काम कर चार पुत्रियों व परिवार का भरण पोषण करती थी। विवेकान्त शुरू से ही मेधावी छात्र रहा। पढ़ाई के साथ आर्थिक समस्याओं को दूर करने के लिए विवेकान्त महीनों तक ज्वेलरी दुकान पर बतौर कारीगर का भी काम करता था, और समय बचा कर पढ़ाई भी करता था। इसी बीच उसने आईआईटी की तैयारी शुरू की।
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जिसमे, विवेकान्त ने आल इंडिया रैंक में 9307 व कैटेगरी रेंक 2058 प्राप्त किया। जिसके बाद उसे मुम्बई आईआईटी से एडमिशन के लिए ऑफर आया। लेकिन, आर्थिक दिक्कतों के कारण वो इनदिनों एजुकेशन लोन के लिए प्रयास कर रहा था। इस समस्याओं की जानकारी लोगों को हुई तो अब लोग खुलकर आर्थिक सहयोग कर रहे है।
पढ़ाई के लिए सहयोग मिलने पर विवेकांत ने आर्या सर्वांगीण विकास संस्थान का धन्यवाद किया साथ ही विवेकांत ने इस दौरान बताया कि वह भी इस संस्था से जुड़ा हुआ है, वह व उनकी मां मंदिर में पूजा के दौरान कचरी-मुरही, गोलगप्पे इत्यादि का दूकान यहां सालों से लगाते आये हैं. जिससे उनके परिवार को आर्थिक रूप से थोड़ी बहुत संबल मिल जाता है। वहीं विवेकांत ने आर्या सर्वांगीण विकास संस्थान के संस्थापक अध्यक्ष डॉ गौरी कांत मिश्र, महासचिव बैद्यनाथ झा सहित मौके पर मौजूद संस्थान के सभी सभी सदस्यों का आभार व्यक्त किया. इस मौके पर शैलेन्द्र झा, बंधु झा, संतोष झा, अंजनी झा, परमानंद झा, हेमंत कुमार, अश्वनी कुमार झा, पैक्स अध्यक्ष पद्मनाभ कमल, पंसस पप्पू झा, शम्भू झा सहित समिति के कई सदस्य व गणमान्य उपस्थित थे।
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