कन्हैया कश्यप। बिहार में जारी पंचायत चुनाव में जिस तरह के चुनाव परिणाम सामने आ रहे है। उससे कई निवर्तमान मुखियाओं की घिघ्घी बंध गयी है। निवर्तमान मुखिया अब पुराने रणनीति को छोड़कर जनता जनार्दन को मनाने में नए सिरे से जुट गए है। मधुबनी जिले में कई मुखिया की कुर्सी जनता ने बदल कर रख दी है। चुनाव परिणाम में दिग्गज मुखियाओं के अंगदी पैर उखड़ने के बाद अब ये चर्चा का विषय बना हुआ है,की आखिर किस वजह से निवर्तमान मुखियाओं की हार हुई है।

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इस वजह को जानने के लिए हमने कई बुद्धिजीवियों से बात की। कुछ लोगों ने जहां जनता को अब जागरूक होने की बात कही, तो कुछ लोगों ने सरकार की योजनाओं में हुई गड़बड़ियों का असर बताया। लोगों ने बताया कि बिहार सरकार ने सात निश्चय योजना के तहत हर घर नल का जल संचालन के लिए सरकारी राशि दी,लेकिन इस योजना में इस कदर लूटखसोट की गई, की अधिकांश वार्डो में अभी तक शुद्ध पेयजल सपना बना हुआ है। इसके निगरानी के लिए कई स्तर पर अधिकारियों के साथ पंचायत प्रतिनिधियों को कहा गया, लेकिन, कोई सुनवाई नहीं हुई। आवास योजना हो या अन्य कोई भी योजना, हर योजना में गड़बड़ी की गई है। जिसका परिणाम चुनाव में झलक रहा है।

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इस योजना को साकार करने के लिए वार्ड क्रियान्वयन प्रबंध समिति का गठन किया गया। जिसमें वार्ड सदस्य को विशेष दायित्व दिया गया, लेकिन कुछ पंचायत में मुखिया ही पर्दे के पीछे कर्ताधर्ता बने रहे। योजना की नाकामी का खामियाजा सामने आ रहा है। इसलिए, अब कुछ लोग इस बात पर बल दे रहे है कि जल नल व अन्य योजनाओं में हुई अनियमितता के कारण मुखियाजी की कुर्सी छीन गयी। वजह जो भी हो, लेकिन, इतना तो स्पष्ट सामने आ रहा है कि चुनावी परिणाम के बाद कई निवर्तमान मुखिया टेंशन में आ गए है।


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