नई सरकार के गठन और शपथ ग्रहण के बाद से ही मंत्री मंडल विस्तार की चर्चा तेज है। ऐसे कयास लगाए जा रहे थे कि भाजपा कोटे से अधिक संख्या में मंत्री पद दी जा सकती है। लेकिन अब इन तमाम अटकलों पर लगभग विराम लग गया है।

बिहार में भारतीय जनता पार्टी अब नए चेहरों के साथ सबको चौंकाने की तैयारी में है. पुराने चेहरों को किनारे करने की भी कवायद शुरू हो गई है। इसी कड़ी में सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार बेनीपट्टी से विधायक, भाजपा के दिग्गज नेता और पूर्व मंत्री विनोद नारायण झा का भी मंत्री पद नहीं मिलना लगभग तय हो चुका है। 

हालांकि, बीजेपी ने इसकी शुरुआत सरकार गठन के साथ कर दी थी। दो ऐसे चेहरों को डिप्टी सीएम बना दिया जिसकी उम्मीद किसी को नहीं थी. इतना ही नहीं कैबिनेट में दिग्गज नेताओं की बजाय नए चेहरों को एंट्री दी गई और अब कैबिनेट विस्तार से लेकर विधानपरिषद तक की सीटों में नए चेहरों को एक बार फिर तरजीह दी जा सकती है.

पूर्व डिप्टी सीएम सुशील कुमार मोदी के बाद नंद किशोर यादव, प्रेम कुमार, विनोद नारायण झा जैसे पुराने नेताओं को जिस तरह विधान सभा की समितियों का जिम्मा पार्टी ने दिलवाया है. वह इस बात का बड़ा संकेत है कि बीजेपी अब पुराने चेहरों के ऊपर दांव नहीं लगाने जा रही. 

बीजेपी में अब नए चेहरों के साथ बिहार में नई राजनीतिक धारा पर आगे बढ़ने का फैसला किया है. इतना ही नहीं दोनों के मंथन शिविर में संगठन को मजबूत करने बिहार में अपनी ताकत को और बढ़ाने के लिए जीत वाली 74 सीटों के अलावा बाकी विधानसभा सीटों पर पूरा फोकस करने का भी टारगेट दिया है. 

बीजेपी बिहार में अपनी मात्र संगठन राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ और विश्व हिंदू परिषद जैसे संगठनों के साथ मिलकर संगठन को धारदार बनाने की दिशा में काम करेगी. बिहार को लेकर भूपेंद्र यादव ने जो प्लान तैयार किया है बीजेपी उसी रास्ते पर आगे बढ़ चली है.


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