बेनीपट्टी(मधुबनी)। बिहार राज्य स्वास्थ्य संविदा कर्मी संघ के आह्वान पर पीएचसी में संविदा पर कार्यरत स्वास्थ्यकर्मियों ने अपनी 17 सूत्री मांगों के समर्थन में काला बिल्ला लगाकर विरोध किया। इस दौरान कर्मियों ने कहा कि सरकार हम सभी संविदा कर्मियों के साथ भेदभाव कर रही है, जो दुर्भाग्यपूर्ण है। कोविड-19 जैसी महामारी में दिन-रात काम करने के बावजूद केवल नियमित कर्मियों को ही प्रोत्साहन राशि देने का काम कर रही है और संविदा पर 24 घंटा काम करने के बावजूद हम सभी की न केवल उपेक्षा ही की जा रही है बल्कि हल्की चूक को आधार बनाकर कार्रवाई करने का काम कर रही है। लंबे दिनों से राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन के अंतर्गत कर्मियों के द्वारा शोषण और उपेक्षा के खिलाफ विरोध प्रदर्शन कर आंदोलन किया जा रहा है पर अब तक महज कोरा आश्वासन के सिवाय कुछ नही मिल सका है। लिहाजा हम सभी एक बार फिर 13 से 18 जुलाई तक काला बिल्ला लगाकर सरकार के खिलाफ विरोध व्यक्त करते हुए अपने कर्तव्यों का निर्वहन करेंगे। इसके बाद 20 जुलाई को सांकेतिक हड़ताल का आह्वान कर सरकार की कुम्भकर्णी निंद्रा को तोड़ने का काम करेंगे। इसके बाद भी सरकार अगर हमारी मांगे नही मानती है तो 21 जुलाई से अनिश्चितकालीन हड़ताल पर उतरने को बाध्य होंगे। उनकी मांगों में राज्य से लेकर प्राथमिक स्वास्थ्य उपकेंद्र के संविदा पर कार्यरत प्रबंधकीय कैडर कर्मियों को एक माह का समतुल्य प्रोत्साहन राशि देने, एनएचएम के अंतर्गत संविदा पर कार्यरत सभी कर्मियों को पब्लिक हेल्थ मैनेजमेंट कैडर लागू कर नियमितिकरण करने, इनमें जिन कर्मियों का वर्ष 2011 से अब तक मानदेय पुनरीक्षण लंबित है उन्हें शीघ्र ही पुनरीक्षण का लाभ देने, फीटमेंट कमिटी की अनुशंसा को लागू करने, पूर्व नियुक्त कार्यरत कर्मियों को 15 वर्ष की छूट देने के साथ प्राथमिकता देने, 15 फीसदी सालाना मानदेय वृद्धि करने, नियमितिकरण प्रक्रिया पूरी होने तक एचआर पोलिसी लागू करने व चयनमुक्त जैसी निरंकुश प्रक्रिया को समाप्त करने, राज्य स्तर से स्वास्थ्य उपकेंद्र स्तर तक के कार्यरत संविदा अधिकारियों और कर्मियों को अतिरिक्त प्रभार नही देने और दिये जाने पर अतिरिक्त प्रभार को उनके कार्य उपलब्धि मानते हुए किसी प्रकार की कोई दंडात्मक कार्रवाई पर अंकुश लगाने व प्रभार हेतु अतिरिक्त प्रोत्साहन राशि देने, चयनमुक्त सभी संविदाकर्मियों को वापस लेने, अपरिहार्य कारणों ने टर्मिनेट पर रोक लगाने, आउट सोर्सिंग प्रथा को बंद करने व पूर्व से बहाल आउट सोर्स कर्मियों को एनएचएम में समायोजित करने, एनएचएम के अंतर्गत कार्यरत कर्मियों को आवेदन के आधार पर राज्य के अन्य जिलों में अविलंब स्थानांतरण करने, सेवाकाल के दौरान आकास्मिक मृत्यु होने की स्थिति में उनके आश्रितों को 25 लाख रुपया क्षतिपूर्ति के रुप में देने व एक सदस्य को नौकरी देने, कार्यालय व आवास व आवास उपलब्ध कराने और इपीएफ की सुविधा से आच्छादित किये जाने सहित अन्य मांगे भी शामिल है। मौके पर हेल्थ मैनेजर राजेश रंजन, बीसीएम सत्येंद्र कुमार, लेखापाल उदय प्रकाश गुप्ता, टेक्नीशियन लालबाबू यादव, केटीएस शत्रुघ्न ठाकुर, एमएनइ जितेंद्र कुमार साह, एसटीएस स्मिता कुमारी व एएनएम श्यामा कुमारी सहित अन्य कर्मी भी मौजूद थे।


आप भी अपने गांव की समस्या घटना से जुड़ी खबरें हमें 8677954500 पर भेज सकते हैं... BNN न्यूज़ के व्हाट्स एप्प ग्रुप Join करें - Click Here



Previous Post Next Post