बीएनएन चीफ की रिपोर्ट : सुप्रीम कोर्ट के वकील सह कांग्रेसी नेता इरशाद अहमद ने अपने एक बयान में लॉकडाउन के बढ़ाए जाने पर चिंता का इज़हार किया है, जैसा कि कई प्रदेशों के सीएम ने 30 अप्रैल तक के लिए लॉकडाउन की मुद्दत बढ़ा दी है इसलिए ऐसा लगता है कि भारत सरकार पूरे हिंदुस्तान में लॉकडाउन की मुद्दत को बढ़ाकर 30 अप्रैल तक कर देंगे। जिससे दिहाड़ी मजदूर, गरीब, किसान और खेती में काम करने वाले मज़दूरों के हालात बहुत खराब और बद्दतर होंगे। गौरतलब है कि बड़े शहरों में फंसे हुए देहारी मज़दूर और गरीब लोगों के लिए सरकारी स्कूल में रहने का और खाने का इंतज़ाम कराया गया है मगर वो भी तमाम लोगों के लिए नाकाफी है। भारत सरकार ने 1.7 लाख करोड़ का जो पैकेज इन गरीब किसानों और जरूरतमंदों के लिए ऐलान किया है उसको उन गरीबों के बीच पहुँचाने का इंतज़ाम करना चाहिए साथ में सरकार को इनके लिए राहत का एक बड़ा पैकेज का ऐलान करना चाहिए क्योंकि असंगठित क्षेत्र की व्यवस्था एकदम चरमरा गई है, साथ में कोरोना महामारी और लॉकडाउन की वजह से यह  क्षेत्र एकदम खत्म के कगार पर है। ऐसे में सरकार ने असंगठित  क्षेत्र में काम करने वाले करोड़ों लोगों पर ध्यान नही दिया तो मुल्क के जीडीपी पर जो असर पड़ेगा वो तो है ही मगर मुल्क के करोड़ों लोग भुखमरी और बेरोजगारी में चले जाएंगे। बावजूद इसके भारत सरकार ने मनरेगा और किसान योजना के तहत फौरन हर किसान को 6000 रुपये का इंस्टॉलमेंट का वादा किया है अगर वो सही से किसानों को मिल जाए तो ऐसे वक्त में बड़ी राहत का काम होगा। सुप्रीम कोर्ट के वकील इरशाद अहमद ने भारत सरकार से आग्रह किया कि वह तीन नए पैकेजों का ऐलान करे और उसको जरूरतमंदों तक पहुँचाने की सुनिश्चित करें। पहला असंगठित क्षेत्र के लिए एक पैकेज, दूसरा किसानों और खेतिहर मजदूरों के लिए अलग से एक पैकेज तीसरा स्वास्थ के सामान और सामग्री के ख़रीदारी के लिए ।


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