बेनीपट्टी (मधुबनी)। सिद्धपीठ उच्चैठ की भूमि का अतिक्रमण किया जा रहा है। अतिक्रमणकारी कुछ दिनों के अंतराल पर उच्चैठ की पवित्र भूमि का अतिक्रमण कर रहे है। उच्चैठ की भूमि पर बांस-बल्ला लगा कर कब्जा करने की होड़ इस कदर मची है कि उच्चैठ के मुख्य हाथी गेट के समीप भी अतिक्रमणकारी अवैध रुप से कब्जा कर चुके है। वहीं वर्षों पूर्व से नवरात्रा में मेला स्थल को भी अतिक्रमण किया जा रहा है। अतिक्रमणकारी उक्त स्थल पर कचरा फेंकने के साथ कब्जा भी कर रहे है। बावजूद अंचल प्रशासन कब्जाधारियों पर कार्रवाई तो दूर नोटिस तक जारी करने से परहेज कर रही है। प्रशासन के लुंज-पूंज रवैये के कारण उच्चैठ की कीमती भूमि कब्जा हो रहा है। सूत्रों की माने तो उच्चैठ मंदिर की करीब 22 एकड़ भूमि में मंदिर परिसर को छोड़ कर अन्य भूखंडों को अतिक्रमण कर लिया गया है। वहीं सूत्रों की माने तो कुछ लोगों को वर्षों पूर्व अधिकारियों ने पर्चा तक दे दिया है। जानकारी दें कि उच्चैठ की सिद्धपीठ मंदिर करीब 22 एकड़ में फैला हुआ है। जिसे हर वर्ष अतिक्रमण कर कब्जा करने का खेल किया जा रहा है। स्थिति इतनी बद्तर हो गयी है कि मंदिर परिसर के अलावे अन्य भूमि को कब्जा कर लिया गया। जिसके कारण नवरात्रा में आयोजित मेला को इस वर्ष खरीदार नहीं मिला। सरकार को राजस्व मद में प्राप्त होने वाली राशि नहीं मिल पायी। कई बार मेला का डाक करने का प्रयास किया गया, लेकिन कोई डाक लेने के लिए तैयार नहीं हो पाया। स्थानीय लोगों ने बताया कि डाक लेने से नुकसान होगा। उच्चैठ के भूमि का अतिक्रमण किए जाने के कारण मंदिर परिसर के बाहरी जगहों पर सौंदर्यीकरण का कार्य नहीं हो पाया। जबकि उच्चैठ के अन्य भूखंड पर भवन का भी निर्माण करा लेने से सरकार को राजस्व मद में काफी लाभ होता। उधर स्थानीय लोगों की माने तो प्रशासन के इस रवैये से अतिक्रमणकारियों का मनोबल उंचा होगा। वर्षों बाद जब भूखंड को खाली कराने का आदेश आता है तो प्रशासन के लिए उक्त भूखंड गले की हड्डी साबित होगी। इस संबंध में पूछे जाने पर अंचलाधिकारी पुरेन्द्र कुमार सिंह ने बताया कि वरीय अधिकारी से बात कर ऐसे लोगों के खिलाफ कार्रवाई की जाएगी।