बेनीपट्टी (मधुबनी)। कन्हैया मिश्रा- बाढ़ का कहर ऐसा बरपा की सब कुछ पल भर में स्वाहा हो गया। जो बच्चें कल तक अपने आंगन में मुस्कान बिखेर रहे थे, वे आज सड़क पर धूल फांक रहे है।जी हां बेनीपट्टी अनुमंडल में आयी प्रलंयकारी बाढ़ ने कईयों के घर को तहस-नहस कर दिया।नेपाल से आने वाली जीवनदायिनी पानी ने अचानक रुख बदलते हुए प्रलय ढाना प्रारंभ कर दिया।देखते ही देखते कई गांव जलमग्न हो गये।बाढ़ के कारण जान बचाने के लिए कई परिवार इस बेदर्द समय में सड़क पर आ गया।प्रशासन के द्वारा दी जाने वाली खिचड़ी खाकर किसी प्रकार अपना दर्द छूपाने में लग जाते है।बेनीपट्टी के बाढ़ पीड़ित सोईली पुल से लेकर हर स्टेट हाईवे पर अपना अस्थाई आशियाना बनाकर किसी तरह रात काट रहे है।वहीं परिवार का मुखिया पानी में तैरकर अपने घर की हालत भी देख आता है।इसी बीच सरकारी बाबू सरकारी खिचड़ी लेकर वितरण करने आ जाते है।हल्ला होने लगाता है कि हौ रुबीया के पप्पा, खिचड़ी एलौ हउ।सब लोग जो कुछ देर पहले पानी को देखने इधर-उधर हो जाते है।सारे लोग एक साथ जुट कर भोजन कर लेते है।कहने के लिए तो इस बाढ़ ने कई दर्द दिये है।लेकिन इन सब के बीच कुछ ऐसा भी दर्द दिया है।जिसे शायद सालों में भी भुलाना असंभव होगा।इस बाढ़ में अब तक तीन लोगों ने अपने बच्चें खोये है।इसी बीच एक बार फिर हल्की-हल्की आसमानी बूंदे गिरना प्रारंभ हो जाता है।सोईली पर फिर से हड़बड़ाहट होने लगती है।बुढियां सोनकी देवी कह उठती है, हे इंद्र भगवान अब तो रहम करों।


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