बिहार समाचार। बिकास झा :  बलिराजगढ़ की खुदाई को लेकर पटना हाईकोर्ट के अधिवक्ता सुनील कुमार कर्ण द्वारा दर्ज पीआईएल के बाद मामला फिर से हाई कोर्ट के संज्ञान में आया है। अधिवक्ता सुनील कुमार कर्ण ने 21 मई, 2015 को याचिका दाखिल की है। उन्होंने अपने पक्ष में  कहा है कि इसकी खुदाई तीन बार शुरू की गयी और बीच में ही छोड़ दिया गया। पुरातत्व सर्वेक्षण विभाग से इसकी खुदाई जारी रखने को कहा जाय क्योंकि यह ऐतिहासिक किला है और इससे सात राजघरानों ने शासन चलाया था। यह मिथिला का गौरव है। खुदाई से मिथिला महत्ता की जानकारी पूरे विश्व को मिलेगा जिससे यहां काफी संख्या में पर्यटक आयेंगे। जिससे मिथिला को विकसित होने में मदद मिलेगी। उन्होंने कहा कि तीन बार जो थोड़े-थोड़े समय के लिए खुदाई हुई थी, उसमें काफी संख्या में विभिन्न काल के मूर्तियां, निर्माण व टेरोकोटा के सामान मिले थे। इस किले के बारे में वेद व पुराणों में वर्णन है और इसे राजा बलि का किला कहा जाता है। इस किले की खुदाई से काफी संख्या में ऐतिहासिक सामान मिलेंगे। इसे देखने विश्व से पर्यटक आयेंगे। जिसके कारण स्थानीय लोगों सहित राज्य के राजस्व में बढ़ोतरी होगी। मिथिला क्षेत्र में इस किले के अलावा अन्य ऐतिहासिक स्थान हैं जिसकी खुदाई किये जाने की आवश्यकता है। पुरातत्व विभाग ने वर्ष 1962-63 में राज्य सरकार ने वर्ष 1972-73 में तथा वर्ष 2013-14 में खुदाई शुरू करवायी। हर बार बीच में ही खुदाई रोक दी गयी। ऐसा करना मिथिला क्षेत्र के साथ सौतेले व्यवहार करने के सामान है। उन्होंने कहा कि फिर से खुदाई कराने को लेकर केंद्र सरकार सहित राज्य सरकार को कई बार पत्र लिखा गया, लेकिन कोई कदम नहीं उठाया। वह केंद्र सरकार इसकी वर्ष 2015-16 में खुदाई कराने की बात कह रहा है। जबकि इस किले को राजा जनक की भी राजधानी कहा जाता है। इस मामले को अखबारों ने भी जमकर उछाला है फिर भी इसकी खुदाई नहीं करवाई जा रही है। न्यायालय केंद्र व राज्य सरकार को निर्देश दे कि वे इस किले के साथ अन्य ऐतिहासिक जगहों का खुदाई करवाये।


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