बेनीपट्टी(मधुबनी)। कन्हैया मिश्रा : चानपुरा के गूंगी  लडकी सुहगिया कुमारी के मौत पर लगातार आरोपों को झेल रही बेनीपट्टी पुलिस अब अपने बचाव की मुद्रा में आ गयी है। पुलिस अधीक्षक के निर्देश पर रविवार को एसडीपीओ निर्मला कुमारी ने प्रेस कांफ्रेस कर मीडिया में आ रही कई सवालों का जवाब दिया।वहीं आम जनता में उठ रही शंका को कमतर करने का प्रयास किया गया। रविवार को अपने कार्यालय प्रकोष्ठ में एसडीपीओ ने चानपुरा मामले में बताया कि शव का पोस्टमार्टम रिपोर्ट व डीएनए टेस्ट की रिपोर्ट आने के बाद ही कांड का खुलासा किया जायेगा। एसडीपीओ ने बताया कि कांड का वादी एवम् मृतका के परिजन के बयान के बाद कांड सुलझने के बजाय अधिक उलझ गया है। वहीं प्राथमिकी देर से दर्ज करने के सवाल पर पुलिस का बचाव करते हुए एसडीपीओ ने बताया कि वादी के आवेदन को डाक के द्वारा थाना भेजा गया था। जिसे समय पर प्राथमिकी दर्ज नहीं की जा सकी। वहीं उन्होंने बताया कि गांव जाकर कांड का पर्यवेक्षण किया गया तो ग्रामीणों ने किसी भी घटना से इंकार कर दिया,वहीं मृतका की छोटी बहन पुनिता कुमारी ने अपने बयान में बताया कि आरोपी का उनके घर आना-जाना नहीं होता था।उधर एसडीपीओ के कार्यालय में मौजूद वादी महेंद्र मांझी ने पत्रकारों को बताया कि उन्हें गांव के लोगों ने बरगलाकर प्राथमिकी दर्ज करा दी थी,वहीं उनके माता-पिता अभी भी अपने पुराने बयान पर कायम होने की बात कहीं। जानकारी दें कि बसैठ चानपुरा के वार्ड सदस्य महेंद्र मांझी ने गांव के राजेंद्र कामत पर एक नाबालिग गंगूी महादलित लडकी का यौनाचार कर गर्भावस्था में दवा पिलाकर मार देने एवम् शव को धौंस नदी के किनारे दफन कर देने का आरोप लगाते हुए एसडीपीओ को प्राथमिकी के लिए गत 28 दिसंबर को आवेदन दिया था। एसडीपीओ के द्वारा प्राथमिकी के निर्देश देने के बावजूद उक्त प्राथमिकी दर्ज करने में बेनीपट्टी पुलिस ने चार दिनों का समय लगा दिया। वहीं सूत्रों ने बताया कि उक्त प्राथमिकी की जांच का जिम्मा अनुसंधानकर्ता को कांड दर्ज होने के छह दिनों के बाद दी गयी।जिससे मामला ओर संदेहास्पद हो गया।बीघटना के करीब 15 दिनों के बाद दो प्रतिष्ठित अखबार के प्रतिनिधियों ने जब उक्त मामला को समाचार पत्र के माध्यम से उठाया तो बेनीपट्टी पुलिस की कलई वरीय अधिकारियों के समक्ष खुल गयी। वरीय अधिकारी के निर्देश के बाद घटना के 17 दिनों के बाद मजिस्ट्रेट की मौजूदगी में शव को निकाल कर पोस्टमार्टम के लिए मधुबनी सदर अस्पताल भेजा जा सका। अब सवाल है कि क्या मीडिया में खबर नहीं आने पर पुलिस मामले को दबा देती या फिर शव को खराब होने के बाद पुलिसिया जांच होती।कई सवाल आज भी लोगों के जेहन में चल रही है, जिसका जबाव न तो पुलिस के पास है,ना ही ऐसे लोगों के पास, जो घटना होने के बाद भी चुप्पी साधे हुए थे।


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