बेनीपट्टी (मधुबनी) कन्हैया मिश्रा : बिहार की सियासती पारा चुनाव से पहले ही परवान चढ़ने लगी है.चुनाव होने के वक़्त इसकी तपिस कहाँ तक जायेगी,फ़िलहाल कहना जल्दबाज़ी होगी.गठबंधन को लेकर जहां पहले ही जदयू-राजद में तनातनी चल रही थी,जिसका मुख्य केंद्र नीतीश ही थे.अब नीतीश को घेरने के लिए कभी नीतीश का प्यारा कहे जाने वाले पूर्व मुख्यमंत्री जीतन राम मांझी ने आज ऐसे शिगुफा छेड़ा है की पूरी जदयू और खुद मुख्यमंत्री को मीडिया के सामने आकर बयान देना पड़ा.दरअसल आज जीतन राम मांझी "आम " की सियासत कर दिन भर की सुर्खिया बटोर ली.मांझी ने एक न्यूज़ चैनल को 1 अणे मार्ग(मुख्यमंत्री आवास)बुलाकर बगीचों में लगे आम एवम् लीची की सुरक्षा में लगे पुलिस के जवानों की और ध्यान दिला कर सीधे-सीधे नीतीश पर हमला करते हुए कहा की एक दलित आम न खा ले,इसलिए इतने सुरक्षकमियों को पेड़ की हिफाजत में लगा दिया है.अब सीधे नीतीश पर हमला होने से घबराये जदयू के सभी नेता और प्रवक्ता मांझी के मंशा पर ही सवाल उठाते हुए कहने लगे की मांझी अभी मुख्यमंत्री हे ही नहीं तो उस आम पर उनका अधिकार कहाँ से आ गया.वही आम के संदर्भ में पत्रकारो के सवाल पर जवाब देते हुए नीतीश कुमार ने कहा की "मांझी जी "अगर आम और लीची की ही चिंता है तो उन्हें अपने वेतन से दे देंगे...वही साम होते-होते आम का मसला कुछ अधिक ही ख़ास हो गया.एक बार फिर मांझी ने ये कहकर सनसनी मचा दी की उन्हें राजद ने समर्थन देने की बात कह दी.पूर्व उपमुख्यमंत्री भाजपा नेता सुशील मोदी ने भी नीतीश कुमार को खरीखोटी सुनाते हुए नितीश कुमार को दलित विरोधी कह दिया.अब देखना दिलचस्प होगा की इस आम की सियासत से किसे फायदा होगा.


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