राज नगर नौलखा महल,मधुबनी
राजनगर के राजपरिसर के दरभंगा महाराज लक्ष्मीश्वर सिंह के छोट भाई महाराज रामेश्वर सिंह बनवेने छलाह ! मिथिलाक संस्कृति में माछ आ हाथी के बहुत महत्व अछि ! अहि राज परिसर में जहां माछक निशान देख सकैय छी , ओतहि हाथी, जेकरा राजसी शान के पहचान मानल गेल अछि ; हाथी महल के रूप में विद्यमान अछि ! महल के दरवाजा पर दू टा हाथीके विशाल प्रतिमा बनल अछि !बच्चा में जखन हम महल घूमय गेल रही, त नौलखा महल हॉल के छत पर बनल महिला के पेंटिंग देखि बहुत हैरान भ जाइ , कियाक त कोनो कोना स देखला पर हमरे दिस देखैत छलैथ! एकर भव्यता के चर्चा दूर दूर तक होएत छल ! महल, मंदिरक दीवार पर कएल गेल नक्काश, कलाकारी ,कलाकृति अद्भुत अछि !दीवार पर मिथिला पेंटिंग के अलावा देशी विदेशी दुनू शैलीके समागम देखय जा सकैत अछि !महाराज के तंत्र मंत्र स विशेष लगावक कारणे , परिसर में ग्यारह टा मंदिर बनवयल गेल आ एकरा में तंत्र मंत्र केसाथ अध्यात्म आओर वैदिक कला के समागम कायल गेल ! कहल जाइत छैक कि एकरा बनवाबय लेल महाराज फ्रांस स ऑर्किटेक्ट मंगवौने छलाह !परिसर में चारू कात मंदिर बनल अछि !मधुबनी स करीब १५ किलोमीटर दूर राज परिसरक महल के महाराज रामेश्वर सिंह अपने लेल बनौने छलाह ,मुदा महाराज लक्ष्मीश्वर सिंह के मृत्युक पश्चात दरभंगा चलि गेलाह ! हुनका दरभंगा गेलाह के बाद एकर उचित देखरेख नहिं भेल.आ दू टा भूकम्प झेलला के बाद , धीरे धीरे ई खंडहर में बदलैत चलि गेल !
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राजनगर के राजपरिसर के दरभंगा महाराज लक्ष्मीश्वर सिंह के छोट भाई महाराज रामेश्वर सिंह बनवेने छलाह ! मिथिलाक संस्कृति में माछ आ हाथी के बहुत महत्व अछि ! अहि राज परिसर में जहां माछक निशान देख सकैय छी , ओतहि हाथी, जेकरा राजसी शान के पहचान मानल गेल अछि ; हाथी महल के रूप में विद्यमान अछि ! महल के दरवाजा पर दू टा हाथीके विशाल प्रतिमा बनल अछि !बच्चा में जखन हम महल घूमय गेल रही, त नौलखा महल हॉल के छत पर बनल महिला के पेंटिंग देखि बहुत हैरान भ जाइ , कियाक त कोनो कोना स देखला पर हमरे दिस देखैत छलैथ! एकर भव्यता के चर्चा दूर दूर तक होएत छल ! महल, मंदिरक दीवार पर कएल गेल नक्काश, कलाकारी ,कलाकृति अद्भुत अछि !दीवार पर मिथिला पेंटिंग के अलावा देशी विदेशी दुनू शैलीके समागम देखय जा सकैत अछि !महाराज के तंत्र मंत्र स विशेष लगावक कारणे , परिसर में ग्यारह टा मंदिर बनवयल गेल आ एकरा में तंत्र मंत्र केसाथ अध्यात्म आओर वैदिक कला के समागम कायल गेल ! कहल जाइत छैक कि एकरा बनवाबय लेल महाराज फ्रांस स ऑर्किटेक्ट मंगवौने छलाह !परिसर में चारू कात मंदिर बनल अछि !मधुबनी स करीब १५ किलोमीटर दूर राज परिसरक महल के महाराज रामेश्वर सिंह अपने लेल बनौने छलाह ,मुदा महाराज लक्ष्मीश्वर सिंह के मृत्युक पश्चात दरभंगा चलि गेलाह ! हुनका दरभंगा गेलाह के बाद एकर उचित देखरेख नहिं भेल.आ दू टा भूकम्प झेलला के बाद , धीरे धीरे ई खंडहर में बदलैत चलि गेल !