बेनीपट्टी(मधुबनी)। प्रखंड क्षेत्र के पश्चिमी भाग में एक ऐसा गांव है, जहां दशकों बाद भी पुरानी बागमती नदी की उपधारा पर पुल निर्माण नही हो सका। चुनाव के समय जनप्रतिनिधि ग्रामीणों को कई बार आश्वासन दिए, मगर उसके बाद गांव में झांकनें तक नही गए। बेनीपट्टी प्रखंड के माधोपुर गांव की बात कर रहे हैं। यह गांव तकरीबन 20 वर्षो से अधिक से उपेक्षा का शिकार है। गांव में राधेकृष्ण मंदिर के निकट पुरानी बागमती नदी की उपधारा बह रही है। दशको पूर्व इस उपधारा पर हयूम पाइप स्थापित कर ग्रामीण काम चलाते थे, जो बाढ़ में क्षतिग्रस्त होकर बह गया। उसके बाद वर्षो से चचरी पुल के सहारे आवाजाही करते आ रहे थे। बाढ़ के दौरान वह भी पानी के दबाव के कारण बह जाता था। जिसके कारण ग्रामीणों को एक ओर से दूसरी ओर जाने के लिए जान हथेली पर रखकर तैर कर जाना पड़ता था। 2017 और 2019 की बाढ़ में भी ग्रामीणों को काफी कठिनाइयो का सामना करना पड़ा। चुनाव के समय ग्रामीणों ने हर प्रत्याशियों के आगे बागमती पर पूल निर्माण की मांग रखी। जिस पर महज आश्वासन के सिवाय कुछ नहीं मिला। पूर्व मुखिया विष्णुकांत झा, उदयकांत झा, सज्जन सहनी, रमेश चंद्र मिश्र, अनिल राम, सुरेश साह, स्वयंबर झा, संतोष झा, सूरज सदा, भूवन सहनी सहित अन्य ग्रामीणों ने बताया कि मनरेगा योजना के तहत तकरीबन 10 लाख की लागत से उक्त उपधारा पर पुल निर्माण का कार्य कराया जा रहा है। इस पुल के निर्माण हो जाने से माधोपुर, धनूषी, बररी, फुलवरिया, बलसा, तरैया, रजबा, नवगाछी, बररी बेहटा, चानपुरा सहित कई गांवों को आवागमन में फायदा होगा। खासकर बाढ़ के समय में इन सभी गांवों के लोगों को आवाजाही में परेशानी नही झेलनी पड़ेगी। यह पुल कई गांवों को आपस में जोड़ने में मिल का पत्थर साबित होगा। इधर, मनरेगा उपधारा पर बनाएं जा रहे पुल से लोगों में काफी खुशी व्याप्त है। ग्रामीणों ने मनरेगा के कार्यक्रम पदाधिकारी के कार्यो की काफी सराहना की है।


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