बेनीपट्टी(मधुबनी)। मानसून की बेरुखी किसानों पर सितम ढा दिया है। मधुबनी जिले में सुखाड़ से किसानों की उम्मीद अब धूमिल हो रही है। जबकि, अधिकांश किसानों ने निजी पटवन व अन्य संसाधनों से खेत में धान की बुआई की थी। कुछ किसानों ने तो बेहतर मानसून के आस में कर्ज लेकर भी धान की बुआई की थी। ऐसे में अब किसानों की आंखें बारिश की राह ताकते-ताकते पथरा गयी है।

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मधुबनी जिले के बेनीपट्टी में नदियों का जाल फैला हुआ है। वहीं, लघु सिंचाई विभाग के द्वारा कई राजकीय नलकूप व उद्वह सिंचाई योजना चलाई जा रही है। इस यांत्रिक मशीनों की वर्तमान स्थिति किसी से छुपी हुई नहीं है। उद्वह सिंचाई योजना सूखे को देखते हुए पूर्णरूप से ठप पड़ा हुआ है। शाहपुर, अग्रोपट्टी, पाली आदि जगहों पर उक्त मशीन सफेद हाथी साबित हो रहा है। जबकि, इन क्षेत्र के खेतों में बड़े बड़े दरार फट चुके है। एक ओर जहां लोग बाढ़ की संभावना से सहमे हुए थे, वही, मौसम के बेरुखी अब सुखाड़ को झेलना किसानों की फिलहाल नियति बन चुकी है।

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समाजसेवी रमेश चंद्र मिश्र, राम सोगरथ सिंह, अधिवक्ता रामप्रबोध सिंह, पूर्व उप प्रमुख रामविनय प्रधान, चम्मा टोल के किसान कलामुद्दीन, बिरौली के सुधीर यादव, मनोज यादव आदि बताते है कि पटवन की कोई भी व्यवस्था मुकम्मल नहीं है। सरकार तो बड़े बड़े घोषणा करती है, लेकिन, धरातल पर कोई नहीं उतर पाता है। आखिर, किसान कबतक यूंही बाढ़ व सुखाड़ को झेलते रहे।


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