काजल की यह सफलता कई मायने में महत्वपूर्ण है, इसके पीछे काजल व उनके परिवार का संघर्ष है. काजल दो बहन है, काजल उसमें बड़ी हैं वहीँ काजल से छोटी एक बहन है, जिसका नाम रौशनी कुमारी है. रौशनी ने इस बार 10वीं बोर्ड की परीक्षा दी है. काजल ने अपने बीते हुए समय को याद करते हुए बताया कि जब वह महज 2 वर्ष की थी तो साल 2006 में उसके पिता जी का दुर्घटना में निधन हो गया. काजल के पिता दिल्ली में नौकरी कर परिवार का पालन पोषण करते थे, लेकिन घर के अभिभावक पिताजी के निधन के बाद परिवार चलाने का सारा भार मां पर आ गया. मां के सामने हम दो बहनें थी, जिसको उन्हें पालना था.
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लेकिन मेरी मां ने ना सिर्फ हम दोनों बहनों को पाला बल्कि खुद संघर्ष कर हम दोनों बहनों को शिक्षा के प्रति हमेशा से जागरूक रखा. मां ने बचपन से लेकर अब तक सिर्फ हम बहनों के लिए कष्ट सहन किया. मां सिलाई मशीन चलाना जानती थी, ऐसे में मां ने परिवार चलाने के लिए सिलाई कढाई का काम गांव में करने लगी. गांव के लोगों ने भी इसमें सहयोग किया. जिसकी बदौलत मां ने हमें पढ़ाया.
मैट्रिक करने के बाद हमनें अपनी इच्छा से इंटर में साइंस रखा. मेरी इच्छा के अनुरूप मां ने मेहनत कर हमें दरभंगा रखकर पढ़ाई करवाई. जिसका परिणाम है कि हमनें परीक्षा में सफलता हासिल की है. काजल ने बताया कि गांव के आस पास के भैया-चाचा लोग लगातार बधाई देने आ रहे हैं और आगे बढ़ने के लिए प्रोत्साहित कर रहे हैं. काजल ने इंटर साइंस में प्राप्त इस सफलता के बाद को लेकर कहा कि वह आगे मेडिकल कि पढ़ाई करना चाहती है. मेरी कोशिस रहेगी कि एक सफल चिकित्सक बन सकूं.
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वहीँ काजल से जब मेडिकल फिल्ड में आने को लेकर वजह पूछा गया तो काजल ने बताया कि गांव में झोलाछाप चिकित्सक होते हैं, जिनसे लोग मज़बूरी में इलाज करवाते हैं. जो कि गलत है ऐसे में मेरी कोशिस है कि मैं अपने गाँव के लिए कुछ कर सकूं, अगर मैं अपने सपने को पूरा करने में सफल रहती हूँ तो मेरी पहली प्राथमिकता गांव कि सेवा होगी.
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