प्रतीकात्मक तस्वीर
शपथ ग्रहण और नई मंत्री परिषद की गठन होते ही बिहार सरकार ने नियोजित शिक्षकों पर डंडा चला दिया है। शिक्षा विभाग ने अप्रशिक्षित शिक्षकों को हटाने का बड़ा फैसला लिया गया है। 31 मार्च, 2019 तक प्रशिक्षण पूरा नहीं करने वाले नियोजित शिक्षकों की सेवा समाप्त कर दी जाएगी। जिसके लिए नियोजन इकाई को तैयारी करने के लिए कहा गया है।

मतगणना के दिन पोस्टल बैलेट में विपक्ष (महागठबंधन) की बढ़त दिख रही थी। फिर पोस्टल बैलेट की गिनती बाद में करवाने का मामला तूल पकड़ लिया था। स्पष्ट हो गया था कि  नियोजित शिक्षकों ने एनडीए सरकार के पक्ष में मतदान नहीं किया है। महागठबंधन भी नियोजित शिक्षकों के हित में काफी लुभावने वादे की थी। अब सब नई सरकार बनते ही पहली गाज नियोजित शिक्षकों पर गिरी है।


बता दें कि विभिन्न जिलों से कोर्ट में अपील करने वाले अप्रशिक्षित शिक्षकों के मामले में कोर्ट में कार्रवाई पर रोक लगाई है। इस संबंध में प्राथमिक शिक्षा निदेशक डॉ रंजीत कुमार सिंह ने सभी डीईओ और डीपीओ स्थापना को पत्र भेजा है। 


पत्र में बताया गया है कि अप्रशिक्षित शिक्षकों को 31 मार्च 2019 तक तक प्रशिक्षण हासिल करना था। इसके लिए भारत सरकार ने 18 महीने का डीएलएड पाठ्यक्रम का संचालन किया गया था। निर्धारित अवधि तक प्रशिक्षण पूरा कर डीएलएड की मुख्य या पूरक परीक्षा में उत्तीर्ण शिक्षकों को रिजल्ट प्रकाशन के तिथि से वेतन का भुगतान करने और अप्रशिक्षित शिक्षकों को सामान्य या पूरक परीक्षा में उत्तीर्ण नहीं होने पर यानी प्रशिक्षण की योग्यता हासिल नहीं करने पर सेवामुक्त करने की कार्रवाई नियोजन इकाई के स्तर से किया जाना है।


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