बेनीपट्टी(मधुबनी)। मधुबनी-दरभंगा व सीतामढ़ी के बाढ़ पीड़ितों को राहत मुहैया कराने के लिए चौदह वर्ष पूर्व निर्माण होने वाली बाढ़ शरण स्थली आज भी अधर में लटका हुआ है। निर्माण में हुई कथित अनियमितता के कारण अधूरे भवन का दिवाल कई जगहों पर क्षतिग्रस्त हो गया है। लोहे का रॉड जंग की भेंट चढ़ चुका है। भवन के पूर्ण निर्माण नहीं होने के कारण स्थानीय लोग उक्त भवन को अतिक्रमण कर चुके है। स्थानीय लोगों ने बताया कि जब भवन को उपयोग लायक निर्माण नहीं किया गया तो वे लोग इस भवन के नीचे अपना माल-मवेशी बांधते है। पूछे जाने पर एक स्थानीय महिला ने बतायी कि इसका निर्माण कार्य बारह से चौदह वर्ष पूर्व किया गया। लेकिन, कुछ ही दिनों के बाद कार्य को ठप कर दिया गया।
ठप क्यूं हुआ, इस संबंध में महिला ने कुछ भी बताने से असमर्थता जता दी। ग्रामीणां ने बातों ही बातों में जानकारी दिया कि अगर ये भवन पूर्णरुप से निर्माण हो गया होता, तो प्रलयकारी बाढ़ में प्रशासन को राहत के लिए परेशानी नहीं होती। सूत्रों ने बताया भवन के छत पर आपात स्थिति के लिए हैलिपेड का भी निर्माण करना था। वहीं बताया गया कि इस भवन के नीचे बाढ़ को देखते हुए एक कमरें में प्राथमिक उपचार कक्ष, बाढ़ राहत सामाग्री कक्ष, विश्राम कक्ष, राहत कर्मी कक्ष के साथ कई अन्य कक्ष का निर्माण करना था। यहां मोटरवोट रखने के लिए भी एक कक्ष के निर्माण करने की योजना थी। बता दें कि इस मध्य में भवन के निर्माण होने से आपात से आपात स्थिति में भी बाढ़ पीड़ितों को रेसक्यू किया जा सकता था। इस भवन से राहत लेकर सीधे सुन्हौली, करवा, अग्रोपट्टी, विशे-लरुगामा, मकिया, शाहपुर, शिवनगर समेत दर्जनों गांव के लोगों को राहत सामाग्री दी जा सकती थी। इस भवन के निर्माण नहीं होने की स्थिति में बाढ़ आने पर पीड़ितों को मोटरबोट से राहत सामाग्री वितरण की जाती है। जिसमें काफी समय लग जाता है। सूत्रों ने बताया कि इस भवन का निर्माण अधवारा समूह के नदी व कमला नदी से आयी बाढ़ से पीड़ितों को रक्षा करने के मकसद से निर्माण कराने की योजना थी। जिसे साकार नहीं किया गया। अब सवाल है कि महत्वपूर्ण भवन किस कारण अधर में लटका रह गया, इसका फिलहाल जवाब देने के लिए कोई तैयार नहीं है।
उधर, मैरिन चीफ विनोद शंकर झा उर्फ लड्डू, पैक्स अध्यक्ष काशीनाथ झा मंगल, कौशल झा, रमेश कुमार, संतोष कुमार, दीपक कुमार झा मंटू समेत कई लोगों ने बताया कि इस भवन के पूर्ण निर्माण से लोगों को काफी लाभ होता। बाढ़ के समय में कही उंचा स्थल नहीं रह जाता है, जहां राहत सामाग्री का भंडार किया जा सके।