पटना। बिहार में राजनीति में अपराधिकरण के मुद्दे को लेकर एक बार फिर बिहार की सियासत गर्मा गयी है।राजद के राष्ट्रीय कार्यकारिणी में मो.शहाबुद्दीन के शामिल होने से सियासत अचानक उबाल मारने लगी है।बीजेपी ने कैदी को राजद में ओहदा देने पर सवाल उठाया है तो वहीं राजद ने बीजेपी पर पलटवार करते हुए उसे अपना घर देख लेने की नसीहत दी गयी है।गत माह जेल में जाकर बिहार सरकार के अल्पसंख्यक कल्याण मंत्री अब्दुल गफूर जब शहाबुद्दीन से मिले थे ,तब भी काफी हो-हंगामा हुआ था। शहाबुद्दीन वर्ष 2009 से सिवान के सेंट्रल जेल में बंद है।उन पर हत्या एवम् अपहरण का मामला सहित दर्जनों मामले चल रहे है।वे हत्याकांड में उम्रकैद की सजा तक भुगत रहे है।लालू प्रसाद यादव ने 21 पदाधिकारियों एवं 56 कार्यकारिणी वाली राष्ट्रीय टीम में शहाबुद्दीन को सदस्य के रुप में रखने का एलान किया है।बीजेपी के वरिष्ठ नेता सह पूर्व डिप्टी सीएम सुशील कुमार मोदी ने शहाबुद्दीन को शामिल करने पर प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि जो सजायाफ्ता है और पंचायत चुनाव भी नहीं लड सकता,उसे राजद ने राष्ट्रीय टीम में शामिल कर जनता,पुलिस एवं नौकरशाही में दहशत फैलाने की कोशिश की है।वहीं सुमो पर पलटवार करते हुए पूर्व सीएम राबड़ी  देवी ने कहा कि भाजपा को पहले अपने घर में झांकना चाहिए।भाजपा पहले अपने गुंडो को संभाले।अमित शाह पर भी गंभीर आरोप है।फिर भी बीजेपी उन्हें राष्ट्रीय  अध्यक्ष बना रखा है।राबड़ी  ने कहा कि हमलोग गरीबों की बात करते है तो ऐसे आरोप लगाये जाते है।वहीं जदयू ने लालू प्रसाद के इस फैसले से पल्ला झाड लिया है।जदयू के राष्ट्रीय प्रधान महासचिव केसी त्यागी ने कहा कि ये राजद का अंदरुनी मामला है।हमारे सहयोगी दल क्या करते है उससे हमलोंगो का क्या मतलब।हम जनता को गुड गर्वर्नेंस देने की बात कहीं है,नीतीश कुमार दे रहे है।उसमें कोई कमी नहीं आने दी जायेगी।


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