देवोत्थानक एकादशी
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समस्त मिथिलावासी के "देवोत्थानक एकादशी" के हार्दिक शुभकामना !
आषाढ शुक्ल एकादशी के भगवान विष्णु शयन के लेल शेषनाग के शैय्या पर क्षीरसागर चलि जाइत छैथ आ कार्तिक शुक्ल एकादशी के दिन देवोत्थान अर्थात भगवान जागैत छैथ !भगवान विष्णु के चारि मास के योग-निद्रा सअ जगेबाक लेल घण्टा, शंख, मृदंग आदि वाद्य के मांगलिक ध्वनि संग अहि मंत्र के पढ़ल जाइत छैक !
"उत्तिष्ठोत्तिष्ठगोविन्द त्यजनिद्रांजगत्पते। त्वयिसुप्तेजगन्नाथ जगत् सुप्तमिदंभवेत्॥
उत्तिष्ठोत्तिष्ठवाराह दंष्ट्रोद्धृतवसुन्धरे। हिरण्याक्षप्राणघातिन्त्रैलोक्येमङ्गलम्कुरु॥"
भगवान विष्णु के उठ गेलाक बाद दोसर देवता सब जागैत छैथ !जब तक भगवान शयन में रहैत छैथ , शुभ कार्य नहि कायल जाइत छैक ! हरि-जागरण के बाद शुभ-मांगलिक कार्य प्रारंभ होइत अछि !
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समस्त मिथिलावासी के "देवोत्थानक एकादशी" के हार्दिक शुभकामना !
आषाढ शुक्ल एकादशी के भगवान विष्णु शयन के लेल शेषनाग के शैय्या पर क्षीरसागर चलि जाइत छैथ आ कार्तिक शुक्ल एकादशी के दिन देवोत्थान अर्थात भगवान जागैत छैथ !भगवान विष्णु के चारि मास के योग-निद्रा सअ जगेबाक लेल घण्टा, शंख, मृदंग आदि वाद्य के मांगलिक ध्वनि संग अहि मंत्र के पढ़ल जाइत छैक !
"उत्तिष्ठोत्तिष्ठगोविन्द त्यजनिद्रांजगत्पते। त्वयिसुप्तेजगन्नाथ जगत् सुप्तमिदंभवेत्॥
उत्तिष्ठोत्तिष्ठवाराह दंष्ट्रोद्धृतवसुन्धरे। हिरण्याक्षप्राणघातिन्त्रैलोक्येमङ्गलम्कुरु॥"
भगवान विष्णु के उठ गेलाक बाद दोसर देवता सब जागैत छैथ !जब तक भगवान शयन में रहैत छैथ , शुभ कार्य नहि कायल जाइत छैक ! हरि-जागरण के बाद शुभ-मांगलिक कार्य प्रारंभ होइत अछि !