"नवरात्री"..... 'दुर्गा पूजा

"नवरात्री"..... 'दुर्गा पूजा'
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समस्त मिथिलावासी के सपरिवार "नवरात्री" आ 'दुर्गा पूजा' के हार्दिक शुभकामना और बधाई!जेना सृष्टि या संसार के सृजन ब्रह्मांड के गहन अंधकार के गर्भ सअ नवग्रह के रूप में भेल, तहिना जीवन के सृजन सेहो माता के गर्भ में , नौ महीना के अन्तराल में होइत अछि । मानव योनि के लेल गर्भ के इ नौ महीना नवरात्री के सामान होइत अछि ,जाहि में आत्मा, मानव शरीर धारण करैत अछि। नवरात्र के अर्थ शिव और शक्ति के नौ दुर्गा के स्वरूप सअ अछि। दुर्गा माता स्वयं सिंह वाहिनी बनि कअ ,अपन शरीर में नौ दुर्गा के अलग-अलग स्वरूप के समाहित केने छैथ।
"प्रथमं शैलपुत्री च द्वितीयं ब्रह्मचारिणी।
तृतीयं चन्द्रघंटेति कूष्माण्डेति चतुर्थकम् ।।
पंचमं स्क्न्दमातेति षष्ठं कात्यायनीति च ।
सप्तमं कालरात्रीति महागौरीति चाष्टमम् ।।
नवमं सिद्धिदात्री च नवदुर्गाः प्रकीर्तिताः" ।।
प्रथम शैलपुत्री 
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शैलराज हिमालय के पुत्री हेबाक कारण नवदुर्गा के सर्वप्रथम पार्वती स्वरुप, 'शैलपुत्री' कहाइत छैथ,जिनकर एक हाथ में त्रिशूल आ दोसर हाथ में कमल का पुष्प छैन्ह । माँ, नंदी नामक वृषभ पर सवार छैथ जे शिव के स्वरुप छैक !
द्वितीय ब्रह्मचारिणी 
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ब्रह्मचारिणी के अर्थ होइत अछि , तप का आचरण करय वाली। सच्चिदानंदमय ब्रह्मस्वरूप के प्राप्ति आदि विद्या के ज्ञाता ब्रह्मचारिणी अहि लोक के समस्त चर और अचर जगत के विद्या के ज्ञाता छैथ ।हिनक स्वरूप सफेद वस्त्र में लिपटल कन्या के रूप में छैन्ह , जिनकर एक हाथ में अष्टदल के माला और दोसर हाथ में कमंडल विराजमान छैन्ह।
तृतीय चन्द्रघंटा 
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माँ दुर्गाजी के तेसर शक्ति, बाघ पर सवार ,शक्ति के रूप में विराजमान चन्द्रघंटा, मस्तक पर चंद्रमा धारण केने छथिन्ह।अहि दिन हिनकर विग्रह के पूजा-अर्चना कायल जाइत अछि ,जाहि सअ भक्त, जन्म जन्मांतर के कष्ट से मुक्त भअ इहलोक और परलोक में कल्याण प्राप्त करैत छैथ ।हिनकर दस हाथ में कमल , धनुष-बाण , कमंडल , तलवार , त्रिशूल और गदा जेहन अस्त्र रहैत छैन्ह । हिनकर कंठ में श्वेत पुष्प के माला और रत्नजड़ित मुकुट शीर्ष पर विराजमान रहैत छैन्ह आ अपन दुनू हाथ सअ साधक के चिरायु आरोग्य और सुख सम्पदा के वरदान दैत छैथ।
चतुर्थ कूष्मांडा 
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पूजन के चारिम दिन ब्रह्मांड सअ पिण्ड के उत्पन्न करय वाली माता ' कूष्माण्डा देवी के पूजा होइत अछि ! बाघ पर सवार, अष्टभुजाधारी मस्तक पर रत्नजड़ित स्वर्ण मुकुट वाली एक हाथ में कमंडल और दोसर हाथ में कलश लेने , उज्जवल स्वरूप् दुर्गा छैथ। हिनकर अन्य हाथ में कमल , सुदर्शन चक्र , गदा , धनुष-बाण और अक्षमाला विराजमान छैन्ह जे अपन भक्त के रोग शोक और विनाश सअ मुक्त कअ आयु, यश, बल और बुद्धि प्रदान करैत छथिन्ह !
पंचम स्कन्दमाता
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मोक्ष के द्वार खोलय वाली, परम सुखदायी स्कन्दमाता अपन भक्त के इच्छा के पूर्ति करैत छैथ । श्रुति और समृद्धि सअ युक्त छान्दोग्य उपनिषद के प्रवर्तक सनत्कुमार के माता के रूप में माँ सिंह पर सवार छैथ जिनकर दुनू हाथ में कमलदल और एक हाथ सअ कोरा में ब्रह्मस्वरूप सनत्कुमार के लेने छैथ ! माँ दुर्गा के इ स्वरुप ,समस्त ज्ञान-विज्ञान , धर्म-कर्म और कृषि उद्योग सहित पंच आवरण सअ समाहित विद्यावाहिनी कहाइत अछि ।
षष्टम कात्यायनी
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माँ दुर्गा के छठम स्वरूप 'कात्यायनी',ऋषि के काज के सिद्ध करअ लेल महर्षि कात्यायन के आश्रम में प्रकट भेलैथ ! महर्षि हिनका अप्पन कन्या के सामान पालन पोषण केलाह !दानव और असुर आ पापी के नाश करय वाली देवी,सिंह पर सवार चाइर भुजा वाली छैथ ,जिनकर बांया हाथ में कमल और तलवार दाहिना हाथ में स्वस्तिक और आशीर्वाद की मुद्रा अंकित छैन्ह ।
सप्तम कालरात्रि
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अपन महाविनाशक गुण सअ शत्रु एवं दुष्ट लोक के संहार करय वाली सातम दुर्गा 'कालरात्रि', विनाशिका स्वरुप में छैथ। कारी रंग में अपन विशाल केश राशि के फैलाकअ चारि भुजा वाली दुर्गा, वर्ण और वेश में अर्द्धनारीश्वर शिव के तांडव मुद्रा में नजर आबैत छैथ।गंधर्व यानी गधा पर सवार माँ अपन विकट रूप में भक्त के रक्षा करैत छथिन्ह !
अष्टम महागौरी
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माँ दुर्गा के आठम शक्ति 'महागौरी', अमोघ और सद्यः फलदायिनी छैथ !माँ अपन तप सअ गौर वर्ण प्राप्त केने छैथ,जाहि सअ हिनका उज्जवल स्वरूप के महागौरी धन , ऐश्वर्य , पदायिनी , चैतन्यमयी , त्रैलोक्य पूज्य मंगला शारिरिक , मानसिक और सांसारिक ताप के हरण करय वाली माता महागौरी कहल जाइत छैक।अप्पन उत्पत्ति के समय, आठ वर्ष के आयु भेलाक
कारण, अष्टमी के दिन कन्यापूजन कायल जाइत अछि ! सफेद वृषभ यानि बैल पर सवार ,धन-वैभव और सुख-शान्ति के अधिष्ठात्री देवी के सांसारिक स्वरूप बहुत उज्जवल,कोमल,सफेदवर्ण तथा सफेद वस्त्रधारी चतुर्भुज युक्त एक हाथ में त्रिशूल,दोसर हाथ में डमरू लेने गायन संगीत के प्रिय देवी के छैन्ह !
नवम सिद्धिदात्री
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नौवम शक्ति ' सिद्धिदात्री',सब प्रकार के सिद्धि देबय वाली छैथ! माँ , भगवान विष्णु के प्रियतमा लक्ष्मी के समान कमल के आसन पर विराजमान छैथ आ हाथ में कमल शंख, गदा, सुदर्शन चक्र धारण केने छैथ !सिद्धिदात्री देवी के , माँ सरस्वती के स्वरूप सेहो मानल जाइत छैक जे सफेद वस्त्रालंकार सअ युक्त महा ज्ञान और मधुर स्वर सअ अपन भक्त के सम्मोहित करैत छैथ 

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