दुखहर (डोकहर) राज-राजेश्वरी भगवती
मधुबनी सअ 12 किमी उत्तर बहरवन बेलाही गांव के निर्जन स्थान में बिन्दुसर पोखैर के कात माता राज-राजेश्वरी विराजइत छैथ। इ स्थान आदिशक्ति मातृदेवी पार्वती एवं शिव के रमणीय स्थली के रूप में आदिकाल सअ प्रसिद्ध अछि । बरामदा के सीढ़ी सअ उतरला पर गर्भगृह स्थित ताख में शालीग्राम शिला के गौरीशंकर के विलास मुद्रा में युगल मूर्तिक दर्शन होइत अछि ।
राज राजेश्वरी के , अहि ठाम, परब्रह्मा के महाशक्ति के रूप में प्रागैतिहासिक काल से पूजा भअ रहल अछि !कहल जाइत छैक, कि बुद्धकाल में ब्राम्हण धर्म के विरोध भेलाक कारण, देव विग्रह के क्षति सअ बचेबाक लेल ,पास के चन्द्रभागा नदी में डालि देल गेल। कालांतर में फणीवार मूलक वत्सगोत्रीय मंगरौनी ग्रामवासी शिवभक्त महात्मा रूपी उपाध्याय जी, दैवकृपा सअ ,अहि युग्म मूर्ति के,गौरीकुंड (चन्द्रभागा नदी) सअ निकालि कअ, पुन: स्थापित केलाह । राज-राजेश्वरी सृष्टि, स्थिति, प्रलयकी कत्री, करूणामय, श्रृंगारिक एवं ओजस्वी रूप में श्रद्धालु सब के लेल, दुखहर बनि कअ बिराजमान छैथ आ भक्त सब के आशीष दैत छैथ !भक्त सब में विश्वास छैक कि, शारदीय नवरात्र में जे कियो मां के दरबार में पहुंचइत छैथ, हुनकर सब मनोकामना पूर्ण होइत छैन्ह।
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मधुबनी सअ 12 किमी उत्तर बहरवन बेलाही गांव के निर्जन स्थान में बिन्दुसर पोखैर के कात माता राज-राजेश्वरी विराजइत छैथ। इ स्थान आदिशक्ति मातृदेवी पार्वती एवं शिव के रमणीय स्थली के रूप में आदिकाल सअ प्रसिद्ध अछि । बरामदा के सीढ़ी सअ उतरला पर गर्भगृह स्थित ताख में शालीग्राम शिला के गौरीशंकर के विलास मुद्रा में युगल मूर्तिक दर्शन होइत अछि ।
राज राजेश्वरी के , अहि ठाम, परब्रह्मा के महाशक्ति के रूप में प्रागैतिहासिक काल से पूजा भअ रहल अछि !कहल जाइत छैक, कि बुद्धकाल में ब्राम्हण धर्म के विरोध भेलाक कारण, देव विग्रह के क्षति सअ बचेबाक लेल ,पास के चन्द्रभागा नदी में डालि देल गेल। कालांतर में फणीवार मूलक वत्सगोत्रीय मंगरौनी ग्रामवासी शिवभक्त महात्मा रूपी उपाध्याय जी, दैवकृपा सअ ,अहि युग्म मूर्ति के,गौरीकुंड (चन्द्रभागा नदी) सअ निकालि कअ, पुन: स्थापित केलाह । राज-राजेश्वरी सृष्टि, स्थिति, प्रलयकी कत्री, करूणामय, श्रृंगारिक एवं ओजस्वी रूप में श्रद्धालु सब के लेल, दुखहर बनि कअ बिराजमान छैथ आ भक्त सब के आशीष दैत छैथ !भक्त सब में विश्वास छैक कि, शारदीय नवरात्र में जे कियो मां के दरबार में पहुंचइत छैथ, हुनकर सब मनोकामना पूर्ण होइत छैन्ह।