धनतेरस (धनत्रयोदशी)

धनतेरस (धनत्रयोदशी) 
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सम्पूर्ण मिथिला के 'धनतेरस' के हार्दिक शुभकामना आ बधाई ! 
"दियाबाती" (दिवाली) के शुरुआत "धनतेरस" सअ भअ जाइत छैक ! कार्तिक कृष्ण पक्ष के त्रयोदशी तिथि के दिन भगवान विष्णु के अंश सअ, भगवान धनवंतरी के जन्म भेल छल । भगवान धनवंतरी, सागर मंथन के समय सोना के अमृत कलश लअ कअ प्रकट भेल छलाह। अहि दिन चाँदी आ बर्तन आदि किननाइ शुभ मानल गेल छैक, संगहि धन के तेरह गुना वृद्धि के लोकमान्यता छैक ! धन्वन्तरि देवता सबहक वैद्य सेहो मानल जाइत छैथ ! अहि दिन के "धन्वन्तरि जयन्ती", जे कि आयुर्वेद के देवता के जन्म दिवस छैन्ह , के रूप में सेहो मनायल जाइत छैक । धनतेरस के साँझ, घर के बाहर मुख्य द्वार पर और आंगन में दीप जराबाई के प्रथा अछि! अहि दिन घर सअ बाहर दक्षिण दिशा के तरफ दीप (यम दीपम ) जरेला सअ, यमराज द्वारा अकाल मृत्यु सअ बचाव के वरदान भेटैत अछि !

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