बेनीपट्टी (मधुबनी)। कभी आसमानी आफत तो कभी नेपाल से निकलने वाली पानी रुपी आफत को झेलकर किसान जहां फसल के उत्पादन की तमन्ना करते है।वहीं नीलगाय रुपी आफत उस फसल को भी बर्बाद करने में जुट जाते है। इनदिनों प्रखंड के अधिकांश पंचायतों में नीलगाय के उत्पात से किसानों पर आफत टूट रही है।नीलगाय एक साथ दर्जनों की संख्या में झूंड बनाकर खेत में लगे फसल पर टूट जाते है। अधिसंख्य होने के कारण जब तक किसान हाथ में लाठी लेकर खेत पर पहुंच पाता है, तब तक काफी मात्रा में फसल बर्बाद हो चुकी होती है। दरअसल, बेनीपट्टी के पाली, दामोदरपुर, गंगूली, सरिसब, लदौत, नवकरही, करही, नगवास सहित कई अन्य गांवों के बघार में भारी मात्रा में नीलगाय हो गए है। जो रहस्मयी तरीके से किसान के खेत में आकर फसल चट कर जाते है। पूर्व में जहां फसल उत्पादन में आ रहे व्यवधान को देखते हुए सरकार ने नीलगाय को मारने की आजादी दी तो कुछ हद तक नीलगाय पर लगाम लगाया जा सका, परंतु पुनः नीलगाय के मारने पर पाबंदी के बाद नीलगाय की संख्या में काफी वृद्धि हो गयी है। एक अनुमान के मुताबिक अकेले नवकरही के बघार में करीब पचास से अधिक की संख्या में नीलगाय है। पूर्व मुखिया रामसंजीवन यादव, रामप्रसाद, ओमप्रकाश चौधरी, नबोनाथ झा समेत कई किसानों ने बताया कि नीलगाय पर लगाम लगाना बहुत ही आवश्यक है। किसानों को भारी क्षति हो रही है। ऐसी ही स्थिति रही तो किसान खेती से विमुख हो जायेंगे। गौरतलब है कि नीलगाय किसानों के खेत में लगे सभी प्रकार के फसल को जड़ समेत चट कर जाता है। खास तौर पर दलहन, रबी, आलू एवं आम के पत्ता को अधिक पसंद करता है। झूंड में आकर एक साथ फसल को खाकर जंगल की ओर सरपट दौड़ जाता है। इस दौरान एक भी व्यक्ति के आहट होने पर भी नीलगाय जंगल में जाकर छूप जाता है।