बेनीपट्टी(मधुबनी)। शिक्षा के स्तर को उंचा करने पर सरकार भले ही कितनी राशि व्यय करने के दावे कर ले, लेकिन बेनीपट्टी के बसैठ स्थित सीता मुरलीधर उच्च विद्यालय की स्थिति को देख सरकार का हर दावा टांय-टांय फिस्स नजर आता है।दशकों पूर्व निर्मित जर्जर हो चुके भवन के नीचे बैठकर किसी तरह शिक्षा लेने को मजबूर है सैंकड़ों छात्र व छात्राएं।स्कूल के एक-दो कमरों को छोड़ दे तो एक भी कमरा छात्रों के बैठने के लायक नहीं है।सभी कमरें जर्जर हो चुके है।विद्यालय प्रशासन खतरों के प्रति आगाह होने पर सभी बच्चों को मैदान में बैठाकर पढ़ाई पूरी कराता है।वहीं अभिभावकों की माने तो स्कूल में नामांकित करीब आठ सौ बच्चों में से करीब सौ से अधिक ही छात्र उपस्थित हो पाते है।कमरों के अभाव के कारण अधिकांश बच्चें सिर्फ परीक्षा के दिनों में ही उपस्थित हो पाते है।गौरतलब है कि बसैठ के इस महत्वपूर्ण विद्यालय के भवन निर्माण के लिए करीब पांच वर्ष पूर्व सरकार की ओर से करीब 40 लाख आवंटित किये गये थे।परंतु ग्रामीण राजनीति व दांव-पेच के कारण विद्यालय प्रभारी राशि से भवन का निर्माण नहीं करा पायी।सूत्रों की माने तो विद्यालय प्रभारी पर अनावश्यक दवाब दिया जा रहा था।जिसके कारण प्रभारी राशि की निकासी समय पर नहीं कर पायी।अतंतः राशि संरेडर करना पड़ा।जिसका खामियाजा आज भी छात्रों को उठाना पड़ रहा है।हैरत है कि पश्चिमी भूभाग अवस्थित बसैठ को जहां अन्य सुविधाओं से लैस करने की मांग समय-समय पर की जाती रही है, लेकिन विद्यालय भवन के निर्माण के लिए किसी भी स्तर से राशि की मांग नहीं की जा रही है।जबकि पश्चिमी क्षेत्र के अधिकांश पंचायतों के छात्र-छात्राओं का नामांकन बसैठ के ही स्कूल में किया जाता है।इस संबंध में पूछे जाने पर विद्यालय प्रभारी गजाला यास्मीन ने बताया कि फिलहाल किसी तरह परेशानियों के बीच बच्चों को पढ़ाया जाता है।बारिश अथवा अन्य दिनों में परेशानी होती है।जब तक भवन का निर्माण नहीं होगा, तब तक सही ढंग से शिक्षा देना मुश्किल है।