मिथिला के विद्वान और बहुभाषाविद प्रो. डॉ. देवकान्त झा नहीं रहे, 90 वर्ष की आयु में उनका निधन हो गया. गुरुवार की सुबह मधुबनी जिले के बेनीपट्टी स्थित चतरा गांव में उन्होंने अंतिम सांस ली. उनके निधन से शिक्षा व सामाजिक क्षेत्र में कार्यरत लोगों में शोक की लहर है. गांव से लेकर राजधानी पटना तक उन्हें जानने वाले लोग इनके निधन की खबर सुन मर्माहित है.

डॉ झा के निधन के बाद शुक्रवार को उनके पैतृक गांव बेनीपट्टी प्रखंड के चतरा में अंत्येष्टि संपन्न हुई, प्रो. डॉ. देवकान्त झा को उनके बड़े पुत्र अरुण कुमार झा ने मुखाग्नि दी.

इस बाबत जानकारी देते हुए उनके परिजनों ने बताया कि कुछ महीने पहले 11 सितम्बर को उनके ज्येष्ठ नाती स्वास्थ्य विभाग, बिहार सरकार में कार्यरत प्रख्यात चिकित्सक डॉ अमित कुमार झा का महज ३९ वर्ष की आयु में हार्ट अटैक से निधन ही गया था, जिसके बाद वह काफी शोकाकुल रहने लगे थे. स्वास्थ्य में गिरावट के बीच गुरुवार को उनका निधन हो गया.

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प्रो. डॉ. देवकान्त झा अपने पीछे भरा पूरा परिवार छोड़ गये हैं, जिनमें उनके तीन पुत्र अरुण कुमार झा, अजित कुमार झा, अनिल कुमार झा व दो पुत्री प्रभा झा व माला मिश्रा हैं.

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जानकारी के लिए बता दें कि प्रो. डॉ. देवकान्त झा मैथिली अकादमी के पूर्व निदेशक व चेतना समिति के वरीय सदस्य रह चुके थे. संस्कृत, मैथिली, अंग्रेजी तथा हिन्दी में इनकी तकरीबन डेढ़ दर्जन कृतियां प्रकाशित है. शिक्षण और लेखन में खासा रूचि व पहचान बनाने वाले प्रो. डॉ. देवकान्त झा अवकाश प्राप्त विश्वविद्यालय प्राध्यापक थे. वह प्राध्यापक के रूप में बिहार, मगध तथा वीर कुंवर सिंह विश्वविद्यालय में अपनी सेवाएं दे चुके थे.

साथ ही मैथिली अकादमी, पटना के वह 1987 से 1989 तक निदेशक सह सचिव रहे. राष्ट्रीय संस्कृत संस्थान, दिल्ली में चार वर्षों तक शास्त्र चूड़ामणि स्कॉलर रहे. साहित्य अकादमी, नई दिल्ली के पूर्व सदस्य प्रो. डॉ. देवकांत झा अखिल भारतीय वेद परिषद, अखिल भारतीय हिन्दी परिषद और यूनाईटेड राइटर्स एसोसिएशन चेन्नई के आजीवन सदस्य रहे.


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