हरलाखी (मधुबनी) : बिहार विधानसभा चुनाव को लेकर बिहार में बनते बिगड़ते गठबंधनों के समीकरण के बीच जिन पार्टियों के कार्यालय के बाहर भीड़ सबसे अधिक लग रही है उनमें लोक जनशक्ति पार्टी भी शामिल है. एनडीए और महागठबंधन के बड़े-बड़े घटक दलों से उम्मीदवारों के नामों पर मुहर लगने के साथ ही पार्टी कार्यालय के बाहर जहां अब भीड़ कम हो रही है वहीं वह भीड़ टिकट की आश में उन दलों के कार्यालय के तरफ शिफ्ट हो रही है जहां अभी टिकट फाइनल नहीं हुआ है.
बता दें कि लोक जनशक्ति पार्टी की जिम्मेदारी संभाल रहे रामविलास पासवान के पुत्र चिराग पासवान ने एनडीए से अलग होकर बिहार चुनाव लड़ने का फैसला लिया है. साथ ही फैसला यह भी लिया है कि लोक जनशक्ति पार्टी उन्हीं सीटों पर अपने उम्मीदवार उतारेगी जिन सीटों पर जदयू के उम्मीदवार होंगे. इसके पीछे का कारण यह बताया जा रहा है कि एनडीए में सम्मानजनक सीट की मांग पर जदयू के तेवर चिराग पासवान को पसंद नहीं आया. जिसके बाद चिराग पासवान ने अपने चुनावी एजेंडे में सीएम नीतीश कुमार के सात निश्चय योजना की जाँच को भी जोड़ लिया है और चुनावी मैदान में उतरने का फैसला लिया है.
एनडीए खेमे से सीटों के बंटवारे में जिन जिन सीटों पर जदयू के उम्मीदवार उतारे गए हैं वहां पर पहले से बीजेपी से टिकट की आस लगाए नेता जिन्हें टिकट से वंचित होना पड़ा है वह अब लोजपा कार्यालय का चक्कर लगा रहे हैं. इसी कड़ी में मधुबनी जिले के हरलाखी विधानसभा सीट से बीजेपी के नेता व 2020 चुनाव में पार्टी से टिकट के दावेदार अजय भगत भी शामिल हैं. अजय भगत बीजेपी में कई पदों पर रह चुके हैं और फिलहाल भी प्रदेश कार्यकारिणी की कमेटियों में शामिल हैं. अजय भगत बुधवार को राजधानी पटना स्थित लोक जनशक्ति पार्टी कार्यालय के बाहर चक्कर लगाते हुए नजर आए. उनेक साथ बीजेपी जिला कमिटी के सदस्य सज्जन कुमार भी देखे गये.
सूत्रों के अनुसार अजय भगत हरलाखी सीट जदयू खाते में जाने के बाद टिकट की संभावनाओं की तलाश में लोक जनशक्ति पार्टी का चक्कर लगा रहे हैं. ऐसा तब हो रहा है जब बीजेपी के प्रदेश अध्यक्ष संजय जायसवाल और बीजेपी के तमाम शीर्ष नेताओं ने यह साफ कर दिया है कि बिहार विधानसभा चुनाव में एनडीए का चेहरा मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ही होंगे और साथ ही यह भी हिदायत दी है कि अगर कोई पार्टी के विरुद्ध गतिविधियों में पायें जाते हैं तो उन पर कार्रवाई भी हो सकती है. इन हालातों के बावजूद बीजेपी के नेता अपनी राजनीतिक भविष्य को संवारने के लिए पार्टी के दिशा निर्देशों को ताक पर रखते हुए टिकट की आश में अन्य पार्टियों के कार्यालयों के चक्कर लगा रहे हैं.
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