बेनीपट्टी(मधुबनी)। नरेंद्र मोदी की सरकार अपनी भ्रष्टाचार और अकर्मण्यता को छुपाने के लिए देश को भावनात्मक मुद्दों में उलझा रही है। असम में एनआरसी से छूटे लोगों को सीएए से नुकसान होगा। ये बातें पूर्व केंद्रीय राज्यमंत्री डॉ शकील अहमद ने शुक्रवार को पार्टी कार्यालय में प्रेस को संबोधित करते हुए कहा। डॉ अहमद ने कहा कि वर्षो पूर्व जनसंघ के द्वारा पूरे देश में अफवाह फैला दी गयी कि भारी पैमाने पर बांग्लादेश से लोग हिंदुस्तान आ गए है। असम पर विशेष अफवाह दी गयी। जिसके बाद असम में एनआरसी लायी गयी। करीब सोलह सौ करोड़ रुपये का खर्च आया। नतीजा ये निकला कि पहले हुए एनआरसी से चालीस लाख लोग नागरिकता से बाहर हो गए। जिसमें 29 लाख हिन्दू समुदाय के थे। फिर हायतौबा मच गई। फिर असम में एनआरसी के लिए दो कागज ओर जोड़ दिए गए। फिर 19 लाख लोग बाहर ही रह गए। जिसमें 13 लाख लोग हिन्दू थे। डॉ अहमद ने कहा कि उन हिंदुओ को को इस सीएए से नुकसान होगा। वही डॉ अहमद ने कहा कि एक तरफ सरकार राष्ट्रपति से अभिभाषण करा देती है। गृह मंत्री क्रोनोलॉजी बता देते है और पीएम रामलीला मैदान में एनआरसी नहीं लाने की बात कहते है। पीएम कहते है कि एनआरसी पर अभी कोई चर्चा तक नहीं हुई। उन्होंने कहा कि केंद्र की सरकार को आंदोलनकारियों से वार्ता करना चाहिए। सरकार हो या सरकारी पार्टी, किसी को भ्रामक प्रचार से बचना चाहिए। वहीं, बिहार के नियोजित शिक्षकों को समर्थन देते हुए कहा कि बिहार सरकार को शिक्षकों से वार्ता करना चाहिए। शिक्षक के हड़ताल के कारण स्कूल बंद है। मौके पर विधायक श्रीमती भावना झा, मो शब्बीर अहमद, दीपक झा मंटू, सुकेश झा, विजय चौधरी आदि थे।


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