बेनीपट्टी(मधुबनी)। सिद्धपीठ उच्चैठ का पौराणिक तालाब प्रदूषित होने के कगार पर पहुंच चुका है। तालाब के पानी में कचरा फेंके जाने से तालाब का पूरा पानी काला स्याह होता जा रहा है। वहीं स्थानीय लोगों की माने तो उक्त तालाब के पानी में कपड़ा से लेकर बर्तन की सफाई भी की जाती है। जिससे पानी अत्यधिक प्रदूषित हो रहा है। वहीं श्रद्धालु अज्ञानता के कारण उक्त तालाब में ही जूठन का पत्ता फेंक देते है। जो पानी में रहकर कचरा का रुप में तब्दील हो जाता है। तालाब के सौंदर्यीकरण के लिए लाखों की राशि खर्च कर तालाब का पक्कीकरण के साथ बैंच का निर्माण कराया गया। वहीं चारों ओर बांउड्री का भी निर्माण कराया गया, ताकि नवरात्रा में श्रद्धालुओं के भगदड़ को रोका जा सके। बावजूद स्थानीय लापरवाही के कारण पौराणिक तालाब असतित्व को बचाने की जद्दोजहद कर रहा है। गौरतलब है कि उक्त तालाब के पानी से ही भगवती वनदूर्गा का जलापर्ण किया जाता है। ऐसे में तालाब की महत्व समझा जा सकता है। तालाब की स्थिति इतनी खराब हो गयी है कि तालाब से पानी लेकर जलापर्ण करने में अब लोग धीरे-धीरे परहेज कर रहे है। जो संतोषजनक स्थिति नहीं कही जा सकती है। स्थानीय श्रद्धालुओं की माने तो स्थानीय पंडाओं के परिवार के सदस्यों के द्वारा तालाब को प्रदूषित किया जा रहा है। जिसे रोकने वाला कोई नहीं है। श्रद्धालुओं ने प्रशासन से तालाब की सफाई करा कर इसकी रक्षा करने की गुहार लगाई है।


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