उनको प्रणाम! जो नहीं हो सके पूर्ण-काम मैं उनको करता हूँ प्रणाम। कुछ कंठित औ' कुछ लक्ष्य-भ्रष्ट जिनके अभिमंत्रित तीर हुए; रण की समाप्ति के पहले ही जो वीर रिक्त तूणीर हुए! उनको प्रणाम! जो छोटी-सी नैया लेकर उतरे करने को उदधि-पार, मन की मन में ही रही, स्वयं हो गए उसी में निराकार! उनको प्रणाम! जो उच्च शिखर की ओर बढ़े रह-रह नव-नव उत्साह भरे, पर कुछ ने ले ली हिम-समाधि कुछ असफल ही नीचे उतरे! उनको प्रणाम एकाकी और अकिंचन हो जो भू-परिक्रमा को निकले, हो गए पंगु, प्रति-पद जिनके इतने अदृष्ट के दाव चले! उनको प्रणाम कृत-कृत नहीं जो हो पाए, प्रत्युत फाँसी पर गए झूल कुछ ही दिन बीते हैं, फिर भी यह दुनिया जिनको गई भूल! उनको प्रणाम! थी उम्र साधना, पर जिनका जीवन नाटक दु:खांत हुआ, या जन्म-काल में सिंह लग्न पर कुसमय ही देहाँत हुआ! उनको प्रणाम दृढ़ व्रत औ' दुर्दम साहस के जो उदाहरण थे मूर्ति-मंत? पर निरवधि बंदी जीवन ने जिनकी धुन का कर दिया अंत! उनको प्रणाम! जिनकी सेवाएँ अतुलनीय पर विज्ञापन से रहे दूर प्रतिकूल परिस्थिति ने जिनके कर दिए मनोरथ चूर-चूर! उनको प्रणाम! कई दिनों तक चूल्हा रोया कई दिनों तक चूल्हा रोया, चक्की रही उदास कई दिनों तक कानी कुतिया सोई उनके पास कई दिनों तक लगी भीत पर छिपकलियों की गश्त कई दिनों तक चूहों की भी हालत रही शिकस्त । दाने आए घर के अंदर कई दिनों के बाद धुआँ उठा आँगन से ऊपर कई दिनों के बाद चमक उठी घर भर की आँखें कई दिनों के बाद कौए ने खुजलाई पाँखें कई दिनों के बाद । चंदू, मैंने सपना देखा चंदू, मैंने सपना देखा, उछल रहे तुम ज्यों हिरनौटा चंदू, मैंने सपना देखा, अमुआ से हूँ पटना लौटा चंदू, मैंने सपना देखा, तुम्हें खोजते बद्री बाबू चंदू,मैंने सपना देखा, खेल-कूद में हो बेकाबू मैंने सपना देखा देखा, कल परसों ही छूट रहे हो चंदू, मैंने सपना देखा, खूब पतंगें लूट रहे हो चंदू, मैंने सपना देखा, लाए हो तुम नया कैलंडर चंदू, मैंने सपना देखा, तुम हो बाहर मैं हूँ अंदर चंदू, मैंने सपना देखा, अमुआ से पटना आए हो चंदू, मैंने सपना देखा, मेरे लिए शहद लाए हो चंदू मैंने सपना देखा, फैल गया है सुयश तुम्हारा चंदू मैंने सपना देखा, तुम्हें जानता भारत सारा चंदू मैंने सपना देखा, तुम तो बहुत बड़े डाक्टर हो चंदू मैंने सपना देखा, अपनी ड्यूटी में तत्पर हो चंदू, मैंने सपना देखा, इम्तिहान में बैठे हो तुम चंदू, मैंने सपना देखा, पुलिस-यान में बैठे हो तुम चंदू, मैंने सपना देखा, तुम हो बाहर, मैं हूँ अंदर चंदू, मैंने सपना देखा, लाए हो तुम नया कैलेंडर मिथिला और बाबा नागार्जुन !!!