सिंहेश्वर स्थान बाबा
मिथिला में मधेपुरा स ८ किलोमीटर दूर स्थित भगवान शंकर के पावन तपस्थली सिंहेश्वर स्थान देश के महत्वपूर्ण तीर्थ स्थल अछि ! शिव महापुराण के रुद्र संहिता खंड के मुताबिक, महर्षि दधीचि और राजा दार्व के बीच शास्त्रार्थ अही , सिंहेर स्थान पर भेल छल !महाराजा दशरथ के जमाता महर्षि श्रृंगी अहि ठाम पुत्रेष्ठि यज्ञ संपन्न करेने छलैथ ! और एकर शुरुआत जहां स केने छलाह , ओहि स्थान के नाम अछि सिंहेश्वर स्थान ! कालिदास कृत कुमारसंभव के मुताबिक, महर्षि ,श्रृंगी के आराध्य श्रृंगेर छलैथ और एकर नाम बदलैत बदलैत सिंहेर भअ गेल और आई ओहि ठाम शिवलिंग स्थापित अछि !वाराह पुराण के मुताबिक, अहि वन में भगवान शिव के खोज में देवराज इंद्र के साथ भगवान विष्णु और ब्रह्मा पहुंचलाह ! भगवान शिव सुंदर हिरण के रूप में विचरण कर रहल छलाह ! तीनो देव मिल हिरन के सिंग तोड़ि, लोक कल्याण के लेल ओहि स्थान पर स्थापित करलाह,जतय आई सिंहेश्वर स्थान अछि !सिंहेश्वर नाथ महादेवजी के शिव लिंग के तीन स्वरूप अहि ठाम अछि , भाव लिंग, प्राण लिंग और इष्ट लिंग! भाव लिंगक सीधा जुड़ाव साक्षात श्रद्धा स अछि ! प्राण लिंग कलाहीन और कलायुक्त दुनू अछि , बुद्धि स एकर साक्षात संबंध अछि ! इष्ट लिंग कला युक्त अछि और एकर दर्शन संभव अछि ! चूंकि इ इष्ट लिंग अछि , अहि लेल इ मंत्रयुक्त, मंत्रहीन, क्रियायुक्त, ज्ञानी, अज्ञानी आदि सब के लेल दर्शनीय और पूजनीय छैथ !
Follow @BjBikash
मिथिला में मधेपुरा स ८ किलोमीटर दूर स्थित भगवान शंकर के पावन तपस्थली सिंहेश्वर स्थान देश के महत्वपूर्ण तीर्थ स्थल अछि ! शिव महापुराण के रुद्र संहिता खंड के मुताबिक, महर्षि दधीचि और राजा दार्व के बीच शास्त्रार्थ अही , सिंहेर स्थान पर भेल छल !महाराजा दशरथ के जमाता महर्षि श्रृंगी अहि ठाम पुत्रेष्ठि यज्ञ संपन्न करेने छलैथ ! और एकर शुरुआत जहां स केने छलाह , ओहि स्थान के नाम अछि सिंहेश्वर स्थान ! कालिदास कृत कुमारसंभव के मुताबिक, महर्षि ,श्रृंगी के आराध्य श्रृंगेर छलैथ और एकर नाम बदलैत बदलैत सिंहेर भअ गेल और आई ओहि ठाम शिवलिंग स्थापित अछि !वाराह पुराण के मुताबिक, अहि वन में भगवान शिव के खोज में देवराज इंद्र के साथ भगवान विष्णु और ब्रह्मा पहुंचलाह ! भगवान शिव सुंदर हिरण के रूप में विचरण कर रहल छलाह ! तीनो देव मिल हिरन के सिंग तोड़ि, लोक कल्याण के लेल ओहि स्थान पर स्थापित करलाह,जतय आई सिंहेश्वर स्थान अछि !सिंहेश्वर नाथ महादेवजी के शिव लिंग के तीन स्वरूप अहि ठाम अछि , भाव लिंग, प्राण लिंग और इष्ट लिंग! भाव लिंगक सीधा जुड़ाव साक्षात श्रद्धा स अछि ! प्राण लिंग कलाहीन और कलायुक्त दुनू अछि , बुद्धि स एकर साक्षात संबंध अछि ! इष्ट लिंग कला युक्त अछि और एकर दर्शन संभव अछि ! चूंकि इ इष्ट लिंग अछि , अहि लेल इ मंत्रयुक्त, मंत्रहीन, क्रियायुक्त, ज्ञानी, अज्ञानी आदि सब के लेल दर्शनीय और पूजनीय छैथ !