मधवापुर। सूचना के अधिकार के तहत मांगी गई सूचना नहीं देने के बाद जब मामला आयोग में गया तो मधवापुर कृषि पदाधिकारी बौखला गया। आवेदक को ऑफिस में बुलाकर धमकी दिए जाने का मामला सामने आया है।
दरअसल मामला कृषि विभाग से जुड़ा हुआ है, जहां आवेदक कलुआही प्रखंड के राढ गांव निवासी मन्नी कुमार ने वर्ष 2022 में कृषि इनपुट योजना से जुड़ी जानकारी सूचना अधिकार अधिनियम 2005 के तरह मधवापुर प्रखंड कृषि पदाधिकारी से मांग की थी। लेकिन सूचना नहीं मिली। आवेदक ने प्रथम अपील भी किया फिर भी सूचना नहीं मिली। जिसके बाद राज्य सूचना आयोग कार्यालय पटना में द्वितीय अपील दायर किया गया। लेकिन तीन साल बीतने के बाद बीते 14 जुलाई को आयोग में उक्त मामले की सुनवाई हुई।
जहां लोक सूचना पदाधिकारी के प्रतिनिधि ने राज्य सूचना आयुक्त को अपने बचाव में कहा कि आवेदक को सूचना दे दी गई है, लेकिन आवेदक मन्नी कुमार ने कहा कि सुनवाई से पूर्व मुझे कोई सूचना उपलब्ध नहीं कराई गई है, राज्य सूचना आयोग के तरफ से कार्रवाई की तलबार लटकने के बाद जिला कृषि पदाधिकारी के कार्यालय द्वारा निर्गत पत्र जिसका पत्रांक 1779 के द्वारा बीते 6 अगस्त 2025 को डाक के माध्यम से खानापूर्ति हेतु अधूरी एवं भ्रामक सूचना भेजी गई है। आवेदक ने प्रखंड कृषि पदाधिकारी रतीश चंद्र झा पर कार्यालय बुलाकर डराने और धमकाने का भी गंभीर आरोप लगाया है। जिसका लिखित आवेदन मधवापुर थाना में दिया गया है।
मन्नी ने कहा कि मांगी गई सूचना में यदि धांधली और घोटाला नहीं हुआ है तो तीन वर्षों में अब तक सूचना क्यों नहीं दी गई, जब आयोग में मामल गया है तो पदाधिकारियों को नींद खुली है। उन्होंने कहा कि आगामी 8 अक्टूबर को राज्य सूचना आयोग में सुनवाई है, जिसमें उपस्थित होकर दोषी पदाधिकारी और कर्मियों पर कार्रवाई की मांग करेंगे। इधर देखा जाए तो तीन वर्षों में सूचना नहीं देना पदाधिकारियों के कार्यों पर सवाल उठना लाजमी है, जबकि सूचना अधिकार अधिनियम 2005 के अनुसार मांग गई सूचना 30 दिनों के अंदर अपीलार्थी को उपलब्ध कराने की प्रावधान है। प्रखंड कृषि पदाधिकारी रतीश चंद्र झा ने लगाए गए आरोप को निराधार बताया है।
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