अविनाश के बदनाम करने में जुटी पुलिस:
बता दें कि 13 नवंबर को अवनीश का शव ओरैन गांव के जंगल से बरामद किया जाता है और शाम होते होते एसपी साहब का बयान आता है कि हत्या प्रेम प्रसंग के कारण हुई है।
ऐसा सायद पहली बार देखने को मिला है कि बिना किसी जांच और अनुसंधान के पुलिस कुछ ही घंटों में नतीजे पर पहुंच जाती है और एक व्हिसिल ब्लोअर के कुर्बानी को तार-तार करने का कुप्रयास प्रशासन के तरफ से किया जाता है।
मौका ए वारदात पर नहीं पहुंची फोरेंसिक टीम:
गौरतलब है कि अविनाश के शव की बरामदगी जिस जगह से हुई है, वह ओरैन गांव का एक सुनसान क्षेत्र है। जहां पेड़ के नीचे से अधजली अवस्था में शव बरामद किया गया। शव मिलने की जानकारी ग्रामीणों ने दी।
यह भी पढ़ें: आरटीआई एक्टिविस्ट अविनाश के हत्यारों के गिरफ्तारी के लिए लोगों ने किया सड़क जाम
शव मिलने के 36 घंटे से अधिक बीत जाने के बाद भी मौके पर फोरेंसिक की टीम नहीं पहुंची। साक्ष्य बिखरे पड़े हैं और उन्हें समेट कर जांच शुरू नहीं की गई है। बावजूद पुलिस ने तीसरे आंख की मदद से केस में प्रेम प्रसंग के कारण हत्या होने का कारण खोज निकाली है।
पुलिस की भूमिका संदिग्ध:
पूरे मामले में अभी तक जिला प्रशासन की भूमिका संदिग्ध है। प्रतीत होता है कि अपराधियों के साथ मधुबनी जिला प्रशासन ने समझौता कर लिया है।
जिला प्रशासन दावा कर रही है कि एक महिला समेत चार लोगों की गिरफ्तारी की गई है। खबर लिखे जाने तक पुलिस के इस दावे को चौबीस घंटे होने को हैं मगर गिरफ्तारी की विस्तृत जानकारी साझा नहीं की गई है।
कई नर्सिंग होम पर लगवा चुका था ताला:
अविनाश के जीवन पर यदि प्रकाश डाला जाए तो प्रेम प्रसंग से जुड़ा एक भी विवाद कभी परिजन या मित्र मंडली में सामने नहीं आया। पूरा बेनीपट्टी इस बात से परिचित है कि अविनाश के आरटीआई और परिवाद के कारण एक दर्जन से अधिक फर्जी नर्सिंग होम पर बीते साल भर में ताला लग चुका है।
यह भी पढ़ें: BNN न्यूज के पत्रकार आरटीआई एक्टिविस्ट अविनाश के हत्या से बढ़ रहा आक्रोश
पिछले कुछ दिनों से भी अविनाश लगातार सोशल मीडिया पर अस्पताल माफियाओं के खिलाफ सक्रिय था। साथ ही उन्होंने दावा भी कर रखा था कि आगामी 15 नवंबर को वह बड़ा खुलासा करेगा। ये तमाम मुद्दे पुलिस के जांच से बाहर हैं।