बेनीपट्टी(मधुबनी)। श्रावण के पवित्र माह के पूर्णिमा के मनाई जाने वाली रक्षा बंधन बडे़ ही धूमधाम से मनाई गयी। इस दिन को भाई-बहन के अटूट प्यार का पर्व के तौर पर मनायी जाती है। रक्षा बंधन को लेकर बाजार में अधिक चहल-पहल दिखाई दे रही थी। भाई नए-नए परिधान पहन कर अपने बहनों से राखी बंधा रहे थे। बहनों के द्वारा भाई को राखी बांध कर मिठाई खिला कर आशिर्वाद दे रही थी। माना जाता है कि रक्षाबंधन के दौरान बहनें अपने भाईयों से हमेशा रक्षा करने का आग्रह करती है। वहीं धार्मिक रुप में भी इस पर्व को खासा महत्व दिया गया है। बताया जाता है कि  हिन्दू धर्म के सभी धार्मिंक अनुष्ठानों में रक्षासूत्र बांधते समय कर्मकांडी पंडितो या आचार्य संस्कृत में एक श्लोक का उच्चारण करते है। जिसमें रक्षाबंधन का संबंध राजा बलि से स्पष्ट रुप से दृष्टिगोचर होता है। भविष्य पुराण के अनुसार इन्द्राणी द्वारा निर्मित रक्षासूत्र को देवगुरु बृहस्पति ने इन्द्र के हाथों बांधे हुए येन बद्धो बलिराजा दानवेन्द्रो महाबल, तेन त्वामपि बध्नामि रक्षे मा चल मा चल श्लोक का उच्चारण किया गया था। जिसका भावार्थ है कि जिस रक्षासूत्र से महान शक्तिशाली राजा बलि को बांधा गया था, उसी सूत्र से मैं तुझे बांधता हूं। हे रक्षे(राखी) तुम अडिग रहना। बता दें कि इस दिन बहने नए परिधान पहन कर अपने भाई को राखी बांधने से पूर्व मस्तक पर तिलक लगाने के बाद राखी बांध कर मूंह मीठा कराती है। इसके लिए विशेष थाली में तिलक के लिए अक्षत और चावल, सिर पर रखने के लिए छोटा कपड़ा, छोटा सा दीपक, कपूर और मूंह मीठा करने के लिए तरह-तरह के मिठाई रखती है। भाई की आरती उतार कर राखी बांधी जाती है।


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