बेनीपट्टी(मधुबनी)। बेनीपट्टी की धरती पौराणिक व देवस्थल के तौर पर वर्षों से जानी जाती है। यहां के धार्मिंक स्थलों की भरमार को देख कहा जा सकता है कि बेनीपट्टी की धरती देवों के प्रिय स्थल हुआ करती थी। बेनीपट्टी मुख्यालय के करीब पच्चीस किमी दूर पश्चिम बररी में अवस्थित बाबा बाणेश्वरनाथ महादेव मंदिर महाभारत काल से जुड़ा हुआ है। किवदंती है कि पाडंव अपने अज्ञातवास के दौरान बेनीपट्टी के पश्चिमी भूभाग में अज्ञातवास के काफी समय बिताये है। इस दौरान पाडंवों ने यहां के तमाम धार्मिंक स्थलों पर वेष बदल कर रात गुजारे है, तो देवताओं से आशिर्वाद भी प्राप्त किया है। बाणेश्वरनाथ से महज पांच किमी पूर्वी भाग में गाण्डीवेश्वरनाथ महादेव मंदिर अवस्थित है। गाण्डीवेश्वरनाथ मंदिर भी महाभारत काल से जुड़ा होने का दावा किया जाता रहा है। बाबा बाणेश्वरनाथ महादेव मंदिर के संबंध में किवदंती है कि अज्ञातवास के दौरान अर्जुन इसी स्थल से गुजर रहे थे। इस दौरान एक गाय प्यास के मारे बिलबिला रही थी। जिसे देख अर्जुन ने धरा में बाण मारकर गंगा की धारा निकाल ली। जिसे गाय की प्यास बूझ सकी। कहा जाता है कि मंदिर से उत्तर भाग में अवस्थित तालाब का नाम आज भी बाणगंगा ही है। तालाब के संबंध में किवदंती है कि तालाब भयंकर से भयंकर अकाल में भी सूख नहीं पाया। स्थानीय लोगों की माने तो मंदिर का जीर्णोंद्धार कर इसे पर्यटन स्थल बनाया जा सकता है। बता दे कि गांव के ही युवक इस मंदिर का रंग-रोगन कराए है। नवयुवकों की मंडली के द्वारा ही मंदिर के विकास कार्य किए जा रहे है। श्रावण के पवित्र माह में बाणगंगा की पवित्र जल लेकर महादेव पर जलापर्ण करने श्रद्धालुओं की मनोवांछित कामनाएं पूर्ण होती है। सावन माह जलापर्ण करने वाले श्रद्धालुओं का भारी भीड़ उमड़ रही है।


आप भी अपने गांव की समस्या घटना से जुड़ी खबरें हमें 8677954500 पर भेज सकते हैं... BNN न्यूज़ के व्हाट्स एप्प ग्रुप Join करें - Click Here



Previous Post Next Post