बेनीपट्टी (मधुबनी)। शिक्षा अधिकार के कानून को धरातल पर उतारने के लिए तैनात अधिकारियों के उदासीनता के कारण सुदूर ग्रामीण इलाकों में शिक्षा व्यवस्था को चौपट किया जा रहा है। आलम ये है कि स्कूल में नामांकित छात्र शिक्षकों का इंतजार करते रहते है। वहीं विद्यालय के शिक्षक उपस्थिति पंजी में हाजिरी दर्ज कर विद्यालय के कार्य का बहाना बना कर स्कूल से बाहर चले जाते है। जिसका लाभ लेते हुए छात्र भी पढ़ाई के बजाय मौज करने में जुट जाते है। प्रखंड के माधोपुर स्थित उत्क्रमित मध्य विद्यालय का हाल भी कुछ ऐसा ही है। जहां अक्सर विद्यालय प्रभारी उपस्थिति बना कर निकल जाते है। कभी मिड डे मील की राशि बैंक से निकासी के नाम पर तो कभी बच्चों को दिए जाने वाला फल पुपरी से लाने के लिए स्कूल से निकल जाते है। फलस्वरुप, विद्यालय प्रभारी के नदारत होते ही सहायक शिक्षक भी शैक्षणिक कार्यों को छोड़ कर निजी कार्यो में व्यस्त हो जाते है। उक्त स्कूल की स्थिति इतनी खराब है कि स्कूल के नामांकित छात्र आसान से जेनरल नॉलेज के सवालों का भी जवाब देने में हिचकते नजर आते है। वहीं स्कूल की साफ-सफाई तो पूर्णरुप से भगवान भरोसे ही है। गौरतलब है कि उक्त माधोपुर गांव एसएस-52 से करीब पांच किमी अंदर है। जहां बाढ़ के कारण ग्रामीण सड़कें क्षतिग्रस्त होने एवं दूरदराज होने के कारण अधिकारी जल्द उक्त गांव का दौरा नहीं कर पाते है। उधर सूत्रों की माने तो मिड डे मील में प्रभारी के द्वारा काफी फर्जी छात्रों की उपस्थिति बना कर योजना का बंटाधार लगाया जाता है।उधर स्कूल के जायजा लेने के समय में एक सहायिक शिक्षिका बच्चों को परिसर में बैठ कर पढ़ाई करा रही थी। वहीं प्रभारी बच्चों के सेव लाने के लिए पुपरी गये हुए थे। ऐसी जानकारी रसोईया ने दी।


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